तिल्दा-नेवरा -तिल्दा के समीप ग्राम छतौद में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह यज्ञ के चौथे दिन गुरुवार को कथा वाचक गौरव जोशी ने गजेंद्र मोक्ष का प्रसंग सुनाते हुए उपस्थित भक्तों से कहा कि जब जीवन में संकट आता है तो कोई भी परिजन साथ नहीं देते हैं। केवल भगवान ही उसकी पुकार सुनते हैं। इसीलिए परमात्मा ही अपने सगे हैं। हमें परमात्मा के शरणागत रहना चाहिए।
कथा में बताया कि हाथी गजेंद्र अपनी हथिनियों के साथ नदी में जलक्रीड़ा कर रहा था, तभी एक मगरमच्छ गजेंद्र का पैर पकड़ लेता है। मगरमच्छ गजेंद्र को गहरे पानी मे खींचने लगता है, तो हथिनियों को सहायता के लिए पुकारता है। सब उसे डूबता छोड़कर चले जाते हैं। गजेंद्र को समझ आता है कि सारे रिश्ते और प्रेम स्वार्थ से जुड़े हैं। दुनिया का प्रेम धोखा है, दिखावा है। गजेंद्र भगवान से प्राण रक्षा की प्रार्थना करता है तब हरि कृपा से गजेंद्र मुक्त होता है। ईश्वर हमेशा भक्त के प्रेम का मान रखते हैं। हर मुसीबत में ईश्वर ही सच्चा सहारा है।
इसके बाद वामन अवतार की कथा सुनाई गई। पहले राम जन्म उसके बाद कृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाया गया। सुंदर झाकियां भी सजाई गई। उन्होंने संपूर्ण प्राणियों को आनंद देनेवाले कृष्ण अवतार की कथा में नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की भजन के माध्यम से कृष्ण जन्मोत्सव का अनूठा वर्णन किया। कथा व्यास के मुखारविद से भागवत कथा का रसपान करते हुए उपस्थित श्रोता भावविभोर होकर भक्ति रस में झूमने लगे। इस दौरान पूरा कथा पंडाल ‘राधे-राधे, जय श्री राधे की गूंज से गुंजायमान हो गया |सारा माहौल भक्तिमय हों गया और 6 बजे समाप्त होने वाली कथा 7 बजे बाद तक चली।