Wednesday, February 5, 2025
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भाजपा आरक्षण विधेयक पर साइन रूकवाने राजभवन जाती है – ठाकुर

भाजपा क़ी आदिवासी आरक्षण पर चिन्ता मात्र भानुप्रतापपुर उपचुनाव तक, चुनाव खत्म चिंता खत्म
रायपुर। आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर होने में राजभवन में हो रही देरी पर बयानबाजी कर रहे भाजपा नेताओं पर कड़ा प्रहार करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि भाजपा की आदिवासी आरक्षण बहाली की चिंता मात्र भानूप्रतापपुर उपचुनाव तक था उपचुनाव में करारी हार के बाद भाजपा की आरक्षण बहाली की चिंता की पोल खुल गई है। अब भाजपा नेता राजभवन जाकर आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नही करने की मांग करते है। न्यायालय के फैसले के बाद कम हुई आदिवासी आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर 15 अक्टूबर को भाजपा के नेता एकात्म परिसर से राजभवन मार्च किए थे। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने प्रदेश के आदिवासी ओबीसी एससी और ईडब्ल्यूएस वालों को आरक्षण का कानूनी अधिकार दे रही है आदिवासी वर्ग के 32 प्रतिशत आरक्षण की बहाली हो रही है तब भाजपा के नेता एकात्म परिसर के भीतर बैठकर विधेयक में हस्ताक्षर ना हो इसके लिये भाजपा नेता के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल भेजकर विधेयक पर हस्ताक्षर रूकवाने का षडयंत्र रच रहे है भाजपा नेताओं का यह आरक्षण विरोधी चरित्र आरक्षित वर्गो के आगे बेपर्दा हो गया है। अब आरक्षित वर्ग समझ गया कि आखिर पूर्व रमन सरकार ने अपने आरक्षण विरोधी मंसूबे को पूरा करने के लिये 32 प्रतिशत आरक्षण का आधार बताने गठित नंनकीराम कमेटी का जिक्र न्यायलय में दिये गये हलफनामा में नही किया था। न्यायलय के समक्ष नंनकीराम कंवर कमेटी एवं सीएस के अध्यक्षता में गठित 32 प्रतिशत आरक्षण का आधार बताने वाले रिपोर्ट को भी आरक्षण विरोधी षडयंत्र के तहत ही प्रस्तुत भी नही किया। पूर्व रमन सरकार ने एक ओर जहां आदिवासी समाज को गुमराह किया था दूसरी ओर 32 प्रतिशत के आधार बताने के मामले में न्यायलय को भी अंधेरे में रखा था।

ठाकुर ने कहा कि केंद्र में मोदी भाजपा की सरकार बनने के बाद पूरा देश ने देखा है किस प्रकार से राजभवन के कार्यों में भी केंद्र सरकार अनैतिक रूप से दबाव डालती हैं। महाराष्ट्र गोवा मध्य प्रदेश की राजभवन कि घटना किसी से छुपी नहीं है किस प्रकार से राजभवन राजनीति का अखाड़ा बन गया था वही स्थिति छत्तीसगढ़ में भी उत्पन्न हो रही है ऐसा लगता है कि केंद्र की भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासी आरक्षण विधेयक को रुकवाने में तुली हुई है और भाजपा के नेता यहां राजनीतिक बयानबाजी कर उस षड्यंत्र से जनता का पर्दा हटाने में लगे हुए हैं। भाजपा का चरित्र आदिवासी ओबीसी एससी और ईडब्ल्यूएस वर्गों के बीच उजागर हो चुका है पूर्व रमन सरकार के दौरान आदिवासी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण दिया गया तब एससी वर्ग के आरक्षण में 4 प्रतिशत की कटौती किया गया और दो वर्गों के बीच में विवाद उत्पन्न कर आरक्षण को खत्म करने का षड्यंत्र रचा गया। आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार सभी वर्गों को उनके जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दे रही है तो कहीं ना कहीं भाजपा को इसे पीड़ा हो रही है क्योंकि आर एस एस और भाजपा के नेता कई बार सार्वजनिक मंचों से आरक्षण को खत्म करने की बात कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल महोदय जी को 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर बिना शंका के हस्ताक्षर करना चाहिए राज्य सरकार ने सभी पहलुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार कर 76 प्रतिशत आरक्षण विधेयक को विधानसभा में पास करवाया है और उसे सुरक्षा कवच देने के लिए लोकसभा के नौवीं अनुसूची में शामिल करने का भी संकल्प पारित किया है लोकसभा के नौवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए भेज भी दिया गया है ऐसे में राज्यपाल महोदय जी को प्रदेश के आदिवासी ओबीसी एससी और पुलिस वालों के हित में तत्काल इस विधेयक पर साइन करना चाहिए।

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