Friday, December 27, 2024
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नवरात्रि के किस दिन पहने कौन से रंग के कपड़े? देखें पूरी लिस्ट

सोना कोटवानी..

तिल्दा नेवरा-चैत्र नवरात्रि के व्रत आज से 17 अप्रैल तक रखे जाएंगे.नवरात्रि के इन 9 दिनों में देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. नवरात्रि के इन नवरात्रि के इन 9 दिनों में रंगों का भी विशेष महत्व है. माना जाता है इन दिनों मातारानी के पसंदीदा कपड़े पहनने से भक्तों की हर मनोकमना पूरी होती है.

देवी दुर्गा इस ब्रह्मांड की रक्षक हैं. समय-समय पर अलग-अलग रूप धरकर अपने भक्तों की रक्षा की है. जब भी दुष्टों का प्रकोप बढ़ा तो शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी,कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री जैसे रूपों में आकर सर्वशक्तिशाली मां दुर्गा ने राक्षसों का संहार कर  प्रकृति और सृष्टि को बचाया. हम आपको यहां बताएंगे कि चैत्र नवरात्रि में किस दिन मां दुर्गा के किस रूप की पूजा होती है. साथ ही इन दिनों कौन से रंग के कपड़े पहनने चाहिए-

10 अप्रैल बुधवार ,चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन

नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त जीवन में विकास और सफलता पाने के लिए मांब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है जो ब्रह्मा जी के बताए हुए आचरण पर चलें. जीवन में सफलता पाने के लिए अनुशासन रहना जरूरी है. इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए.

11 अप्रैल गुरुवार, चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन

मां चंद्रघंटा संतुष्टि की देवी मानी जाती है. जीवन में कल्याण और संतुष्टि पाने के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन भक्त मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. मां चंद्रघंटा का पसंदीदा रंग भूरा है. ऐसे में नवरात्रि के तीसरे दिन भूरे रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.

12 अप्रैल शुक्रवार, चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन

नवरात्रि के चौथे दिन देवी देवी दुर्गा के चौथे रूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. ये देवी भय को दूर करती है. सफलता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा भय को माना जाता है. मां कूष्मांडा का पसंदीदा रंग नारंगी माना जाता है. ऐसे में इस दिन नारंगी रंग के कपड़े पहनना सबसे शुभ माना जाता है.

13 अप्रैल शनिवार, चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है. ये देवी शक्ति की दाता मानी जाती है. इनकी पूजा करने से भक्तों को अपने काम में सफल होने की शक्ति मिलती है.मां स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है. ऐसे में इस दिन लोगों को सफेद रंग के कपड़े पहनना चाहिए.

14 अप्रैल रविवार, चैत्र नवरात्रि का 6वां दिन

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. ये स्वास्थ्य की देवी हैं.जीवन में सफलता पाने के लिए शरीर का निरोगी होना जरूरी.देवी दुर्गा के इस रूप की पूजा कर भक्त खुद के स्वस्थ रहने की कामना करते हैं.मां कात्यायनी को लाल रंग पसंद है. ऐसे में इस दिन भक्तों को लाल रंग के कपड़े पहनना चाहिए.

15 अप्रैल सोमवार, चैत्र नवरात्रि का 7वां दिन

देवी दुर्गा का 7वां रूप कालरात्रि का है. काल काल यानी समय और रात्रि मतलब रात. जो सिद्धियां रात के समय साधना से मिलती हैं उन सब सिद्धियों को देने वाली माता कालरात्रि हैं. इनकी पूजा नवरात्रि के 7वें दिन होती है.  मात्रा कालरात्रि को नीला रंग पसंद है. ऐसे में इस दिन लोगों को नीले रंग के कपड़े पहनना चाहिए.

16 अप्रैल मंगलवार, चैत्र नवरात्रि का 8वां दिन

नवरात्रि के 8वें दिन अपने पाप कर्मों के काले आवरण से मुक्ति पाने और आत्मा को फिर से पवित्र और स्वच्छ बनाने के लिए देवी दुर्गा के 8वें रूप महागौरी की पूजा की जाती है. माता महागौरी को गुलाबी रंग अति प्रिय है. इस दिन भक्तों के लिए गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ है.

17 अप्रैल बुधवार चैत्र नवरात्रि का 9वां दिन

मां दुर्गा का आठवां रूप है सिद्धिदात्री. भगवान शिव ने देवी के इसी स्वरूप कई सिद्धियां प्राप्त की थी. इनकी पूजा नवरात्रि के 9वें दिन की जाती है. इन्हें बैंगनी रंग काफी पसंद है. इस दिन भक्तों को बैंगनी रंग के कपड़े पहनने चाहिए .

चैत्र नवरात्रि क्यों मनाते हैं?

रंभासुर नाम के असुर का एक पुत्र महिषासुर था. वह बहुत ही शक्तिशाली था. अमर होने के लिए उसने भगवान ब्रह्मा घोर तपस्या की. खुश होकर भगवान ब्रह्मा ने उसे दर्शन दिया और वरदान मांगने को कहा. जब महिषासुर ने अमरत्व का वरदान मांगा तब ब्रह्म देव ने यह कहा कि ‘जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होगी’, दूसरा वरदान मांगों तब  महिसाषुर ने कहा कि उसे ऐसा वरदान दें जिससे कोई देवता दानव और मानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता. उनकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों से ही हो. उसने ऐसा वरदान यह सोचकर मांगा था कि कोई स्त्री इतनी शक्तिशाली नहीं हो सकती, जो उसे मार सके.

वरदान पाने के बाद तीनों लोकों पर महिषासुर का आतंक बढ़ गया. तीनों लोकों पर उसका अधिकार हो गया. देवताओं  को उनके लोक से निका दिया. ऐसे में  देवी-देवताओं ने धर्म स्थापना और महिषासुर के अत्याचारों से मुक्ति के लिए मां दुर्गा का आह्वान किया. आह्वान सुनकर देवी दुर्गा ने खुद को चैत्र नवरात्रि के दिन 9 रुपों में प्रकट किया. देवताओं ने देवी के इन 9 रूपों को अस्त्र शस्त्र देकर महिषासुर का वध करने का आग्रह किया.  इन 9 रुपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक चला. ऐसे में इन 9 दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाते हैं.

जाने देवी दुर्गा ने कौन से 9 रूपों मे लिया था अवतार

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।

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