टिकट कटने से बागी हुए सामरी कांग्रेस विधायक चिंतामणि महाराज मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो गए। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने उन्हें भाजपा में प्रवेश कराया। चिंतामणि महाराज अपने समर्थकों के साथ अंबिकापुर के राजमोहनी भवन में फिर से भाजपा की सदस्यता ली।
दरअसल कांग्रेस ने सामरी से विधायक चिंतामणी महाराज की जगह विजय पैकरा को प्रत्याशी बनाया है। तब से चिंतामणी महाराज के तेवर बगावती थे। वे लगातार भाजपा के संपर्क में थे। पहले चिंतामणि महाराज ने भाजपा में शामिल होने के लिए अंबिकापुर से प्रत्याशी बनाए जाने की शर्त रखी थी।
भाजपा ने चिंतामणि को अंबिकापुर से भाजपा प्रत्याशी बनाने की शर्त को दरकिनार कर दिया। अंबिकापुर से राजेश अग्रवाल को डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के खिलाफ प्रत्याशी घोषित कर दिया। चिंतामणि के भाजपा प्रवेश की अटकलें इसके बाद भी थी। चिंतामणि ने खुद खुलासा किया था कि भाजपा उन्हें सरगुजा से सांसद का टिकट देने तैयार है।
भाजपा से कांग्रेस में आए थे चिंतामणि
चिंतामणि महाराज करीब 11 साल पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। 2013 में उन्हें कांग्रेस ने लुंड्रा से टिकट दिया था और वे विधायक बने। फिर 2018 में चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने सामरी से प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार विधायक चुने गए।
रमन सरकार के पहले कार्यकाल में चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष रहे। भाजपा से उपेक्षित होने पर उन्होंने 2008 में सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा, जिसमें हार गए थे।
चिंतामणी महाराज के भाजपा प्रवेश की खबरों के बीच डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने भी चिंतामणि महाराज को फोन किया था। सिंहदेव ने कहा था कि वे चाहते हैं कि चिंतामणि कांग्रेस में ही रहें तो अच्छा है। कांग्रेस ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।पूज्य संत गहिरा गुरू के बेटे चिंतामणि महाराज के भाजपा प्रवेश करने से कांग्रेस को आधा दर्जन सीटों पर नुकसान हो सकता है…