नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात दिल्ली हाई कोर्ट के वर्तमान जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर बेहिसाब नकदी मिलने के आरोपों से संबंधित रिपोर्ट, फोटो और वीडियो अपलोड किए। यह अपनी तरह का पहला और दुर्लभ मामला है। सुप्रीम कोर्ट की की वेबसाइट पर उपलब्ध सामग्री में आंतरिक जांच के निष्कर्ष और आरोपों से इनकार करते हुए जस्टिस वर्मा की विस्तृत कार्रवाई का खुलासा किया गया है।
सीजेआई खन्ना ने शनिवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय की आंतरिक जांच रिपोर्ट के बाद विस्तृत जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति बना दी है। साथ ही, जस्टिस उपाध्याय को कहा कि जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। तीन सदस्यीय समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। सार्वजनिक वीडियो दिल्ली पुलिस ने शूट किया था। सीजेआई ने जस्टिस वर्मा का जवाब भी सार्वजनिक किया है। उन्होंने नोटों की जानकारी होने से इन्कार किया है।
नोटों का पहाड़
गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर 14 मार्च को होली की रात लगी आग बुझाने के दौरान एक कमरे से भारी नकदी मिली थी। इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने नकदी की राशि 15 करोड़ बताई थी।
जांच रिपोर्ट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब भी जारी किया। अपने जवाबों में जस्टिस वर्मा ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि यह स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होती है। उस स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा कभी कोई नकदी नहीं रखी गई थी। उन्होंने कहा कि वे इस बात की कड़ी निंदा करते हैं कि कथित नकदी उनकी थी। जिस कमरे में आग लगी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली, वह एक आउटहाउस था न कि मुख्य भवन जहां न्यायाधीश और उनका परिवार रहता है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित की। साथ ही मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए भी कहा गया है। सीजेआई जस्टिस खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं। जस्टिस
यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में उन्होंने कॉर्पोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं के अलावा संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों के मामलों में भी वकालत की।
जस्टिस वर्मा का नाम गाजियाबाद की सिंभावली चीनी मिल में हुए 97.85 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में भी आया था। सीबीआई ने तब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया था जिसके बाद सीबीआई ने जांच बंद कर दी थी।