- मिनीमाता निर्वाण दिवस समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री
- शासकीय नवीन महाविद्यालय ठेलकाडीह का बदला नाम
- संत गुरू घासीदास बाबा के नाम पर रखने की घोषणा
- कार्यक्रम में मौदूद रहे विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह
राजनांदगांव: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय रविवार को राजनांदगांव में आयोजित मिनीमाता निर्वाण दिवस एवं जिला स्तरीय शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सीएम साय ने शासकीय नवीन महाविद्यालय ठेलकाडीह का नाम संत गुरू घासीदास बाबा के नाम पर रखने की घोषणा की। साथ ही जिले को कई और सौगातें दीं।
सीएम ने दी ये सौगातें
मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम सोनेसरार, डोंगरगांव विकासखड के ग्राम साकरदाहरा, राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम मोतीपुर में सतनाम भवन निर्माण एवं सतनाम भवन राजनांदगांव में मंच निर्माण के लिए 10-10 लाख रूपए तथा शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज राजनांदगांव में मिनीमाता की प्रतिमा स्थापना के लिए 5 लाख रूपए दिए जाने की घोषणा की। इस अवसर पर सतनामी समाज द्वारा मुख्यमंत्री को साफा पहनाकर आत्मीय अभिनंदन किया गया। मुख्यमंत्री ने सभी को हर घर तिरंगा कार्यक्रम अंतर्गत राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के सम्मान के लिए शपथ दिलाई।
सरकार की गिनाई उपलब्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत गुरू घासीदास बाबा ने 18वीं सदी में मनखे-मनखे एक समान का संदेश दिया तथा समाज में व्याप्त छूआ-छूत एवं भेदभाव को दूर करने के लिए उनके संदेश आज भी मार्गदर्शक एवं प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि संत गुरू घासीदास बाबा के विचार एवं उनके संदेशों का अनुकरण करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार मोदी की गारंटी को पूरा करने का कार्य कर रही है। सरकार द्वारा किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं विभिन्न वर्गों के हित में कार्य किया जा रहा है। रामलला दर्शन, तेंदूपत्ता संग्रहण के अंतर्गत 5500 रूपए मानक बोरा पारिश्रमिक जैसी योजनाओं से आम जनता को लाभ मिल रहा है।
रमन सिंह ने कहा- महिलाओं की बढ़ रही है भागीदारी
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि मिनीमाता के योगदान से समाज में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। उन्होंने महिलाओं के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है और उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है। वर्ष 1952 में पहली महिला सांसद के रूप में उन्होंने अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कानून बनाने तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का नेतृत्व किया। सतनामी समाज तेजी से आगे बढ़ रहा है।