नई दिल्ली: पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण प्रावधानों के संबंध में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को महत्वपूर्ण अधिकार देते हुए कहा था कि वे दोनों वर्गों के अंतर्गत उप श्रेणियों में आरक्षण का प्रावधान कर सकते हैं यानि सरकार दोनों वर्गों के भीतर अति पिछड़ी जातियों के लिए भी कोटा तय कर सकती हैं। हालांकि यह उस वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के प्रतिशत के भीतर ही रहेगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी कह था कि दोनों ही वर्गों में क्रीमी लेयर्स की पहचान कर उन्हें आरक्षण का लाभ न मिलने पाए यह भी सुनिश्चित करेंगे। हालांकि इन दोनों ही प्रक्रियाओं के दौरान तय मापदंड और संवैधानिक नियमों का पूरा ध्यान रखा जाएगा।
कोर्ट के इस आदेश के बाद दोनों ही वर्गों के नेताओं ने इसपर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी थी और इसे सीधे आरक्षण ख़त्म करने की कोशिश करार दिया था। देशभर में इस आदेश के विरोध में आंदोलन की बात भी कही गई थी। संसद में भी न्यायलय के फैसले पर एकराय नहीं थी। सरकार के ही दलित नेताओं ने इस पर सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा था।
हालांकि अब केंद्र की मोदी सरकार ने भी इस पर अपनी राय स्पष्ट कर दी है। आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने बताया कि केंद्र की सरकार बाबा साहेब अम्बेडकर के संविधान की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र की सरकार भी मानती हैं कि एससी-एसटी वर्ग में क्रीमीलेयर जैसी व्यवस्था नहीं है। देखें पूरा वीडियो..