बीजापुर जिले के मुदवेंडी गांव में IED ब्लास्ट की चपेट में आने से मारे गए 2 मासूम बच्चों के परिजनों से अब नक्सलियों ने माफी मांगी है। नक्सल संगठन के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी का कहना है कि गांव वालों को नुकसान पहुंचाने की हमारी कोई मंशा नहीं थी।
जंगल के रास्ते में IED प्लांट थी और इस रास्ते से गांव वालों को न जाने पहले ही बता दिया गया था। सरकार-पुलिस के खिलाफ चल रही हमारी लड़ाई से कुछ गलतियां हो रही है इसके लिए माफी मांगते हैं।
दरअसल, नक्सलियों के पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव मोहन ने माफीनामा के साथ पत्र जारी किया है, जिसमें लिखा है कि पुलिस ने पीडिया, इतावार समेत अन्य गांवों में फर्जी मुठभेड़ में 80 से ज्यादा लोगों को मारा है, जिसकी जिम्मेदार सरकार है।
IED की चपेट में आकर मारे जा रहे निर्दोष आदिवासियों की जिम्मेदार भी सरकार ही है। पुलिस कैंप खोलकर गांवों पर हमले किए जा रहे हैं।
नक्सलियों के पत्र में मीडिया, पत्रकारों से सच्चाई सामने लाने की अपील की है। साथ ही नक्सल संगठन की तरफ से संगठन के विरुद्ध दुष्प्रचार जैसे समाचार प्रकाशन, प्रसारण का जिक्र करते हुए पत्रकार संघ, संगठन को विचार करने की नसीहत नक्सल संगठन की तरफ से दी गई है।
जानिए कब-कब हुई थी घटना
1. तारीख 20 अप्रैल 2024- इस दिन प्रेशर IED की जद में आने से गांव के एक 18 साल के युवक गड़िया पुनेम की मौत हो गई थी। मौत से न सिर्फ पूरा गांव सहमा बल्कि घटना ने ग्रामीणों को भी झकझोर कर दिया था।
युवक गांव के अन्य ग्रामीणों के साथ तेंदूपत्ता बांधने सिहाड़ी पेड़ की छाल से रस्सी निकालने गांव के नजदीक पहाड़ी में गया था। जंगल में उसका पैर प्रेशर IED पर आ गया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। ये रिश्ते में बच्ची का मामा लगता था।
2. तारीख 27 जुलाई 2024 – इसी गांव का रहने वाला 10 साल का हिड़मा कवासी बकरी चराने के लिए जंगल की तरफ गया हुआ था। यहां नक्सलियों ने जवानों को नुकसान पहुंचाने के मंसूबे से IED प्लांट कर रखी थी।
बालक का पैर IED पर पड़ा और जोर का धमाका हुआ। जिससे इसके पैर के चिथड़े उड़ गए थे। कई घंटे तक घर में ही तड़पता रहा। जब फोर्स को इसकी सूचना मिली तो जवान मौके पर पहुंचे। इसे जिला अस्पताल भिजवाया गया इलाज के दौरान इसने दम तोड़ दिया।