आज रात भद्रा काल समाप्त होते ही होलिका दहन का शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा.. फिर कल यानी 14 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी.ज्योतिषविदो का कहना है कि फाल्गुन पूर्णिमा की रात तय मुहूर्त में होलिका दहन होता है. लेकिन पांच लोगों को होली का दहन नहीं देखना चाहिए.
1-शादी के बाद नई दुल्हन को ससुराल में पहली होली नहीं मनानी चाहिए. नई दुल्हन अपनी पहली होली मायके में ही मानती है. होलिका जब अग्नि में भस्म हुई तो अगले दिन उसका विवाह इलोजी से होना था. इलोजी की मां जब बेटे की बारात लेकर पहुंची तो उन्होंने होलीका की चिता देख प्राण त्याग दिए.
बस तभी से प्रथा चली आ रही है कि नहीं बहू को ससुराल में पहली होली नहीं देखनी चाहिए इसलिए वह होली से कुछ दिन पहले मायके आ जाती हैं.
2-कहते हैं सास बहू को साथ खड़े होकर होली का दहन नहीं देखना चाहिए. ऐसा करने से आपसी मतभेद और रिश्तो में तनाव बढ़ता है.
3-इकलौती संतान के माता-पिता को भी होलिका दहन नहीं देखना चाहिए. ऐसा इसीलिए क्योंकि प्रहलाद भी हरियाणा कश्यप कयाधु की इकलौती संतान ही थी.
4-गर्भवती महिलाओं को भी होलिका दहन देखने से बचना चाहिए. उनके लिए होलिका की परिक्रमा करना भी अशुभ माना जाता है.
5-नवजात शिशु को भी होलिका दहन से दूर रखना चाहिए. कहते हैं कि इससे बच्चे पर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.