तिल्दा नेवरा होली के उल्लास के साथ तिल्दा शहर की बाजार भी गुलजार है. इस बार बाजार में रंगों की फुहार बरसाने वाली पिचकारियां नए ही रूप में सामने आई हैं. पिचाकारियों की नई रेंज पर फिल्मों का असर साफ देखा जा रहा है. बाजार में ‘बाहुबली’ की तलवार, ‘पुष्पा’ की कुल्हाड़ी के साथ हथौड़ा, क्रिकेट बैट, हैंड ग्रेनेड के मॉडल भी पिचकारी के रूप में लोगों को लुभा रहे हैं. इसके साथ ही चांदी की पिचकारी, म्यूजिक पिचकारी, लाइट म्यूजिक पिचकारी, गन पिचकारी भी है. फिर फ्लेवर वाली गुझिया से लेकर शुगर फ्री गुझिया भी खानपान के शौकीनों के लिए है.
इस बार तिल्दा नेवरा के होली के बाजार पर फिल्म पुष्पा-2, बाहुबली और शोले का असर दिख रहा है. मूवी बाहुबली में दिखाई गई तलवार का मॉडल लोग खूब पसंद रहे हैं. इसके अलावा पुष्पा मूवी का भी असर है. बाजार में कुल्हाड़ी वाली पिचकारी देखने को मिल रही है.वहीं, मैजिक गिलास सुर्खियों में है. इस मैजिक गिलास की खास बात यह है कि जैसे ही आप पानी में इसे डालेंगे तो कलर ऑटोमेटिक बन जाएगा

हमने रंग बेचने वालो से बात की तो रवि मोटवानी ने बताया कि, वह करीब 20 सालों से पिचकारी का कारोबार कर रहे हैं. इस बार होली को देखते हुए मार्केट में काफी अच्छा खास रिस्पांस देखने को मिला है. हथोड़े वाली पिचकारी आकर्षण का केंद्र बनी है. वहीं डॉल्फिन के मॉडल वाली पिचकारी भी लुभा रही है. तलवार और कुल्हाड़ी वाली पाइप पिचकारी की कीमत ₹200 से लेकर ₹600 तक है. रॉकेट लांचर ₹250, मैजिक ग्लास ₹60 व शोले वाली पाइप पिचकारी की कीमत 550 रुपए है.
रमेश वीरानी बताया कि रंग-गुलाल की अलग-अलग वैरायटी है, लेकिन अबकी बार लोग ऑर्गेनिक ग़ुलाल और ऑर्गेनिक कलर्स को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. बाजार में बच्चों के लिए पिचकारी लेने पहुंचे ने बताया कि उन्होंने बेटे के लिए हथौड़ा पिचकारी ली है. कैंट क्षेत्र में दूकानदार पिंटू साहू कहते हैं कि बिक्री के कारण तलवार वाली पिचकारी की शॉर्टेज हो गई थी, दोबारा माल मंगाया है.
कुछ समाज में मान्यता है कि नव विवाहित जोड़े पहले भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को गुलाल लगाकर होली की शुरुआत करते हैं… बताते हैं कि भगवान कृष्ण को हर जगह होली से जोड़ा जाता है पर अवध में राम को भी होली खेलते हुए देखा गया है इसलिए भगवान को अर्पण करने के लिए छोटी पिचकारी भी है और रंग खेलने के लिए छोटी बाल्टी भी. इन चांदी की पिचकारी की कीमत ₹2000 से लेकर ₹25000 तक है. यह गारंटी कार्ड के साथ आती है.
पिछले कुछ सालों से देखने में आ रहा है कि बाजार में मौजूद सिलेंडर वाले, पटाखे वाले रंगों से लोग होली खेलने लगे हैं. हालांकि इस तरह होली खेलने पर निजी अस्पताल में चर्म रोग विभाग के एक्सपर्ट का कहना है कि इससे बचें. रंग के साथ हानिकारक तत्व सांस के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. जिससे हमें स्किन एलर्जी समेत कई दिक्क़तें हो जाती हैं. इसी तरह केमिकल वाले रंगों से भी खुद को बचाना चाहिए. इन रंगों से शरीर की जो त्वचा है, उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है.VCN टाइम्स की अपील होली शालीनता और भाईचारे से खेले, ऐसी रंगो से बच्चे जिसे बाद में कोई दिक्कत ना आए। इस खबर में इतना ही,, नमस्कार