बिलासपुर-छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पटवारियों के दूसरे जिलों में किए गए ट्रांसफर आदेश को निरस्त कर दिया है। राज्य शासन ने पटवारियों का एक जिले से दूसरे जिले में तबादला आदेश जारी किया था, जिसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाईकोर्ट ने माना कि स्थानांतरण आदेश में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। सरकार चाहे तो नियमों के अनुसार प्रक्रिया का पालन कर ट्रांसफर आदेश जारी कर सकती है।
ट्रांसफर आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती
दरअसल, राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बीते 30 सितंबर को अनुराग शुक्ला, सनद कुमार विश्वास सहित अन्य पटवारियों का तबादला आदेश जारी कर एक जिले से हटाकर दूसरे जिले में भेज दिया था। इस आदेश के बाद पटवारियों में हड़कंप मच गया। ट्रांसफर आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
याचिका में बताया गया कि पटवारियों के नियुक्तिकर्ता अधिकारी कलेक्टर होते हैं। इसकी वजह से उनकी वरिष्ठता जिला लेवल पर बनाई जाती है, जिसके आधार पर उनका प्रमोशन किया जाता है, लेकिन दूसरे जिले में स्थानांतरण करने से उनकी सीनियरिटी प्रभावित होगी और प्रमोशन मिलने में भी देरी हो सकती है।
याचिका में यह भी कहा कि भू राजस्व संहिता की धारा 104 में नियुक्ति और सेवाओं का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। इस मामले की प्रांरभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पटवारियों के दूसरे जिले में स्थानांतरण पर रोक लगा दी थी। तब से मामले की सुनवाई लंबित थी।
याचिकाकर्ता पटवारियों की तरफ से उनके एडवोकेट ने हाईकोर्ट में तर्क दिया कि राजस्व पुस्तिका परिपत्र के खंड 5 की कंडिका 16 के संशोधित आदेश में पटवारियों को उनके जिले के भीतर कलेक्टर को ही स्थानांतरण करने का अधिकार है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शासन के पक्ष को भी सुना।
गुरुवार को सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने माना कि ट्रांसफर आदेश में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। लिहाजा, तबादला आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि नियम के अनुसार पटवारियों का दूसरे जिलों में ट्रांसफर करना गलत है।