इंदर कोटवानी.
तिल्दा नेवरा..क्षेत्र में स्थापित अदानी पावर के विस्तार के लिए होने वाली जनसुनवाई को लेकर अचानक तिल्दा तहसील दो दर्जन गांव और शहर में अचानक हलचल तेज हो गई है. क्षेत्र के नेता नुमा लोग सोते से जाग उठे हैं, जिस तरह जंगल में खरगोश को भगते देख पूरा जंगल उसके पीछे दौड़ने लगता है,कारण खरगोश यह समझ बैठता है कि आसमान टूट रहा है, बाद में पता चलता है कि आसमान तो नहीं एक कद्दू जरूर टूट गया था.
कुछ ऐसा ही नजर तिल्दा शहर के आसपास के गांव व क्षेत्र में नजर आ रहा है, लोग गहरी नींद से उछलकर अचानक भागने लगे हैं, समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर हो क्या गया है. पहले कुछ अखबार एजेंट जागे फिर कांग्रेस बीजेपी के विज्ञप्ति बाजज नेता जागे. उसके बाद गांव के कुछ किसान और छोटभैया नेता जाग गए और देखते ही देखते सभी एक होकर जागते रहो जागते रहो की आवाज देने लगे . अचानक आई इस जागृति को देखकर ऐसा लगने लगा कि अब इस क्षेत्र का उद्धार होकर रहेगा।
क्षेत्र में हमेशा शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करने वाले लोग अपने गांव आसपास के गांव में अचानक जाग उठे नेताओं को ताल ठोकते हुए उनकी जुबान से यह सुना जा रहा है कि अब नए कारखानों को नहीं खुलने देंगे.. अदानी पावर रायखेडा की जनसुनवाई का विरोध करेंगे कुछ लोगों ने आत्मदाह तक की चेतावनी दे दी ..
जो लोग ऐसे विरोध प्रदर्शन से दूर रहते हैं वे तो समझते हैं कि खुले कारखाने को बंद करना या उनके बिस्तर पर रोक लगाना विरोध करने वाले लोगों के बस की बात नहीं है.क्यों कि इस तरह के कारखाने सरकार के द्वारा विकास के मुद्दे और समझौता के बाद ही खुलते हैं, बावजूद अपने भविष्य के इस सुनहरे अवसर को वे कतई खोना नहीं चाह रहे हैं.क्यों कि वे जानते हैं कि यदि वे इस सुनहरे मौके से चूक गए तो फिर उनका भविष्य बड़ी मुश्किल से संवाररेगा. ऐसे भी क्षेत्र में बहुत नेता पैदा हो गए हैं,या फिर यह कहे की बाढ़ से आ गई है. कोई किसी में मशगुल है. तो कोई किसी में? सरकार भाजपा की है. इसीलिए कांग्रेस के उतावले नेता अपनी सरकार चलते जिस प्रकार कूदा-कादी करते थे.वे अभी थोड़ा सा शांत है,लेकिन अब कुछ भाजपा के ऐसे नेता सक्रियहैं जो अपने स्वार्थ के लिए आसपास के भोले भाले गांव के लोगो को भड़काकर अपना रुतबा कायम करने के लिए माहौल को गंदा कर रहे हैं.
एक भाजपा का नेता तो विरोध करने के लिए अंदर ही अंदर इतना सक्रिय है कि उसका बस चले तो फैक्ट्री में आग लगवा दे और बुझाने के लिए स्वयं पहुंचकर यह बता दे की ऐसा नहीं होना चाहिए।
मुझे 40 साल पत्रकारिता से जुड़े हो गए मैने ऐसे कई आंदोलन देखे है.जब हम आंदोलन करियो के बीच पहुंचते थे तो आंदोलनकारी जबरदस्त नारेबाजी करते हुए इस तरह के बयान देते थे.मानो सचमुच में जो बाते वे कह रहे हैं वो होकर रहेगा..
यही फैक्ट्री जब खुलने वाली थी और जमीन की खरीदी की जा रही थी तब रायखेड़ा के कुछ किसानों ने कहा था हम इस फैक्ट्री को नहीं खुलने देंगे.. हम अपनी जमीन को बेचने से अच्छा आत्महत्या कर लेंगे?उनके जोश को देख हमने भी उनके समर्थन में बड़े-बड़े समाचार प्रकाशित करवाएं और एक प्रकार से उनके समर्थक बन गए. लेकिन बाद में जो लोग छाती ठोक ठोक कर विरोध कर रहे थे उन्ही तथा कथित नेता और किसानों ने अपनी जमीनों को ऊंचे दामों में बेचकर फैक्ट्री में बड़े-बड़े ठेके ले लिए।और आज स्वयं को फैक्ट्री के मालिक से काम नहीं समझते हैं. जिसका कोई मान सम्मान नहीं था आज वे ऊंची और महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं. हालांकि उस समय यह पावर प्लांट जीएमआर के नाम से था जिसे बाद में अदानी पावर ने खरीद लिया..
आज अदानी पावर प्लांट का विस्तार हो रहा है और फिर से माहौल को गंदा करने का प्रयास किया जा रहा है. जब भी कोई फैक्ट्री खुलता है और उनकी जनसुनवाई होती है तो अचानक नेता नुमा लोग सोते से जाग जाते हैं, औरऔर जंगल के खरगोश की तरह फैक्ट्री के इर्द-गिर्द दौड़ने लगते हैं. दिखावे के लिए तो वे सचमुच में विरोध करते हैं लेकिन जब उनकी जेब गर्म हो जाती है तो वह विरोध के बजाय यह कहने लगते हैं कि बाहरी लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. फैक्ट्री खुलने न खुलने का फैसला हम ग्रामीण मिलजुल कर करेंगे..
कुछ दिनों से कुछ पोर्टल और अखबार अदानी पावर रायखेड़ा के विस्तार का विरोध कर रहे थे. लेकिन दूसरे दिन वही लोग उसके गुड़गांन करते दिखे.. यह सच है कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में फैक्ट्रीयो के खुलने के बाद से तेजी से प्रदूषण बड़ा है. लेकिन आसपास के क्षेत्र का विकास भी उतनी ही तेजी से हुआ है. ग्रामीणों को रोजगार मिला है.हलाकि उतना भी रोजगार उन्हें नहीं मिला है जितना फैक्ट्री लगने के पहले मैनेजमेंट के द्वारा उनको रोजगार देने के लिए ग्रामीणों अस्वस्त किया जाता है.
लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अदानी पावर लिमिटेड के स्थापित होने के बाद इस क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं’न केवल रायखेडाबल्कि पूरे तिल्दा ब्लॉक के लोगों को मिल रहा है.जल और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।तालाब गहरीकरण परियोजना के माध्यम से वर्षा जल के संग्रहण और उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है,
आजिविका संवर्धन हेतु अदाणी पावर लिमिटेड ने विभिन्न सिलाई केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें ताराशिव के आरईपीए सेंटर सहित तीन अन्य गांवों में 100 से अधिक महिलाओं और लड़कियों को स्वरोजगार मिला है। ख़ास बात यह है कि इसको लेकर ट्रेनिंग प्रोग्राम भी लगातार चलते रहते हैं, जिससे नए लोगों को भी इस पहल से जुड़ने का अवसर मिलता है।
जब भी इस तरह के आंदोलन होते हैं उसमें हमेशा सीधे-साधे भोले-भाले लोग तथाकथित नेताओं के प्रलोभन में आ जाते हैं. विरोध की आड़ में कुछ गलत कदम उठा लेते हैं.. मैं तो कहता हूं कि सच में अगर गाव के मुखिया और ग्रामीण ठान ले की हमें नई फैक्ट्री नहीं खुलने देनी है. और किसान अपनी जमीनों को उनके पास नही बेचेगे तो न फैक्ट्री खुल पाएगी और ना ही इस तरह के आंदोलन होंगे.मैं तो यही कहूंगा कि हमारा क्षेत्र हमेशा शांत रहा है उसे शांत रहने दो.