मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के पद को लेकर एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति बनी हुई है। मध्यप्रदेश की जीत में शिवराज सिंह चौहान ‘क्रेडिट’ ले रहे हैं। जबकि राजस्थान में वसुंधरा राजे विधायकों की बैठक कर हाईकमान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में तस्वीर लगभग साफ नजर आ रही है।
कहने को तो पूर्व सीएम रमन सिंह सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं, लेकिन अब मुख्यमंत्री की दावेदारी में रमन सिंह से आगे अरुण साव, विष्णुदेव साय और केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह का नाम लिया जा रहा है। इन नेताओं के अलावा जिन नेताओं को मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल माना जा रहा है, इनमें विजय बघेल, बृजमोहन अग्रवाल, लता उसेंडी और ओपी चौधरी के नाम भी है। अगर ये नेता सीएम नहीं बन पाए तो डिप्टी सीएम की कुर्सी पर दावेदारी तो रहेगी ही
नाम न छापने के अनुरोध पर भाजपा के एक वरिष्ठ सांसद ने अमर उजाला को बताया कि, भाजपा ने पूरे चुनाव में ओबीसी के साथ आदिवासी वोटों को साधने का काम किया। खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक जनसभा में यह कहते हुए नजर आए कि एक बड़े आदिवासी नेता के लिए मैंने कुछ बड़ा सोचा है। अब छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के नाम जो भी सामने आए। इसमें एक बात तो पक्की है दोनों में से एक ओबीसी और दूसरा आदिवासी नेता ही होगा। अगर ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो आदिवासी नेता अपने लिए डिप्टी सीएम की कुर्सी पक्की समझें। इसके उलट अगर आदिवासी नेता मुख्यमंत्री बनता है तो एक ओबीसी नेता का डिप्टी सीएम बनना तय है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए पार्टी सामान्य वर्ग से भी एक डिप्टी सीएम बना सकती है।
शाह ने किसके बारे में बड़ा सोचा है..
छत्तीसगढ़ को आदिवासी राज्य के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यहां की 32 फीसदी आबादी एसटी कैटेगरी में आती है। आदिवासी समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह गृह मंत्री अमित शाह का बयान है। चुनाव के दौरान अमित शाह ने बस इतना ही कहा था, ‘इनके बारे में मैंने कुछ बड़ा सोचा है।’
प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में तो कुछ बड़ा सोचा है इसका मतलब मुख्यमंत्री बनाना ही होता है। विष्णुदेव साय ने अपने इलाके में जो किया है, वो कमाल ही कहा जाएगा। उन्होंने क्षेत्र की सभी सीटें कांग्रेस से छीन कर बीजेपी को सौंप दी है। साय खुद कुनकुरी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थे, जहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को 25 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी है। इसके अलावा साय ने अपने साथ साथ सरगुजा संभाग की सभी सीटें भी बीजेपी के खाते में ट्रांसफर करवा दी है। 2018 में सरगुजा के लोगों ने ये मानकर कांग्रेस को वोट दिया था कि टीएस सिंह देव प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसलिए कांग्रेस ने सभी 14 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन ढाई साल बाद जब सीएम नहीं बदला गया तो सरगुजा के लोगों ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया, इसका असर चुनाव में दिखा। सभी 14 सीट कांग्रेस से भाजपा की तरफ ट्रांसफर हो गई।
रेणुका और लता भी है रेस में
सरगुजा संभाग का प्रदर्शन विष्णुदेव साय की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को मजबूती देता है। साय को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का भी करीबी माना जाता है। साय इससे पहले वो छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष और मोदी सरकार की पहली पारी में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रेणुका सिंह का नाम भी भावी मुख्यमंत्री के रूप में लिया जा रहा है। रेणुका आदिवासी समाज से ही आती हैं। वे फिलहाल मोदी सरकार में राज्य मंत्री हैं, पहले छत्तीसगढ़ में महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। अगर वो सीएम बनने में कामयाब होती हैं तो छत्तीसगढ़ को ना सिर्फ अनुसूचित जनजाति का सीएम का मिलेगा बल्कि राज्य की कमान पहली बार किसी महिला के हाथ में हो सकती है।
इसके अलावा लता उसेंडी भी छत्तीसगढ़ में बीजेपी का बड़ा आदिवासी चेहरा हैं। लता 2003 के चुनाव में कोंडागांव सीट से पहली बार विधायक निर्वाचित हुई थीं। लता 31 साल की उम्र में लता छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री बन गई थीं। वह दो बार विधायक रही हैं और दो ही बार चुनाव हारीं भी। अभी वह बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। लता भारतीय जनता युवा मोर्चा की भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग भी समय-समय पर उठती रही है। राज्य गठन के बाद पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बाद कोई भी आदिवासी नेता सीएम नहीं बना। लोकसभा चुनाव भी करीब हैं, ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी किसी आदिवासी को सीएम बनाने का दांव चल सकती है।
डिप्टी सीएम की कुर्सी भी तो है ही
छत्तीसगढ़ में भाजपा के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद बीजेपी अध्यक्ष अरुण साव को भी अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा हैं। अरुण साव रेस में अगर विष्णुदेव साय से पिछड़ते है तो वे डिप्टी सीएम के पहले हकदार हो सकते है। 2022 में विष्णुदेव साय को हटाकर ही अरुण साव को सूबे में बीजेपी की कमान सौंपी गयी थी। बिलासपुर की लोरमी सीट से विधानसभा चुनाव जीतने वाले अरुण साव फिलहाल सांसद हैं। अगस्त 2022 में अरुण साव को छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दिया जाना बीजेपी की खास रणनीति का हिस्सा थी। कुर्मी बिरादरी से आने वाले भूपेश बघेल कांग्रेस के ओबीसी चेहरा थे, जिसे काउंटर करने के लिए बीजेपी को भी ऐसे ही एक नेता की जरूरत थी। अरुण साव छत्तीसगढ़ में बीजेपी का ओबीसी चेहरा हैं और वो साहू यानी तेली समुदाय से आते हैं। छत्तीसगढ़ में ओबीसी आबादी 50 फीसदी है, लेकिन साहू उसमें 15 फीसदी है।
इसलिए बृजमोहन अग्रवाल और ओपी चौधरी के नाम है आगे
इसके अलावा सीएम-डिप्टी सीएम के नामों में बृजमोहन अग्रवाल का नाम भी शामिल है। बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से आठ बार के विधायक हैं। बृजमोहन अग्रवाल, डॉक्टर रमन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। बृजमोहन को रायपुर दक्षिण सीट को बीजेपी के अभेद्य किले में तब्दील करने के लिए श्रेय दिया ही जाता है, इनकी गिनती स्वच्छ छवि के सरल-सहज नेताओं में भी होती है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की रेस में चर्चा पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी के नाम की भी है। इसकी वजह है चुनाव प्रचार के दौरान गृह मंत्री अमित शाह का एक बयान। रायगढ़ में अमित शाह ने ओपी चौधरी के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित किया था। उन्होंने तब कहा था कि आप ओपी चौधरी को जिता दीजिए, मैं इनको बड़ा आदमी बना दूंगा। अमित शाह के बड़ा आदमी बनाने वाले बयान को लेकर अटकलें हैं कि ये सीएम या डिप्टी सीएम का पद हो सकता है।