बीजेपी सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की मैराथन बैठक के बाद खबर है कि पार्टी 60 से 70 सांसदों के टिकट काट सकती है. मोदी सरकार के कई मंत्री भी इस बार बेटिकट हो सकते हैं. इनमें यूपी और बिहार के कई मंत्रियों के नाम शामिल बताए जा रहे हैं.
बताया जाता है कि सीईसी की बैठक में एक-एक सीट को लेकर चर्चा की गई. बीजेपी ने हर एक सीट के हिसाब से रणनीति तैयार करने और हर सीट से उस नेता को टिकट देने का निर्णय लिया गया जिसके वहां से जीतने की संभावनाएं सबसे अधिक हों. अगर जीतने की स्थिति में दूसरे दल का नेता है तो उसे बीजेपी में लाने की कोशिश कीजाएगी. इसके लिए बाकायदा राज्य और शीर्ष स्तर पर कमेटी भी बना दी गई है. जिन सांसदों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है, पार्टी इस बार उन पर दांव नहीं लगाए
सूत्रों की मानें तो यूपी और बिहार से कुछ केंद्रीय मंत्रियों का भी टिकट कट सकता है. बताया जाता है कि 3 मार्च को मोदी कैबिनेट की मीटिंग होनी है. इसे लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार 2.0 की अंतिम कैबिनेट मीटिंग भी माना जा रहा है. ऐसे में हो सकता है कि जिन मंत्रियों का इस बार पत्ता कटेगा, इसका ऐलान कैबिनेट मीटिंग के बाद किया जा सकता है. बीजेपी इस बार दो या दो से अधिक बार चुनाव जीत चुके नेताओं पर भी दांव लगाने के मूड में नहीं है. जिन सांसदों उम्र अधिक हो गई है, उनकी जगह नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है.
बीजेपी कुल मिलाकर 60 से 70 सांसदों के टिकट काट सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हर सीट पर कमल चुनाव लड़ रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची चौंका सकती है. पार्टी ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले सांसदों के अधिक टिकट नहीं काटेगी. साल 2019 के चुनाव.में बीजेपी के 303 में से 85 ओबीसी सांसद चुनाव जीतकर आए थे. इससे पहले, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने राज्यों की कोर कमेटी के साथ बैठक कर एक-एक सीट के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की.
राज्यों की कोर कमेटी के साथ बैठक के बाद बीजेपी के ये नेता प्रधानमंत्री निवास पहुंचे और पीएम मोदी के साथ भी मैराथन चर्चा की. दो बैठकों के बाद सीईसी की बैठक हुई जिसमें हर सीट को लेकर चर्चा हुई कि कहां से कौन सबसे बेहतर उम्मीदवार हो सकता है जिसके जीतने की संभावनाएं अधिक हैं. बता दें कि बीजेपी हर चुनाव में अपने सीटिंग सांसद-विधायकों के टिकट काटने के फॉर्मूला का इस्तेमाल करती रही है. अब लोकसभा चुनाव में भी पार्टी अपने इसी पुराने फॉर्मूले पर बढ़ती नजर आ रही है.