Friday, January 3, 2025
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सौम्या चौरसिया की बेल खारिज,30 जनवरी तक सौम्या चौरसिया जेल में ही रहेंगी

27 जनवरी शुक्रवार को सौम्या चौरसिया की रिमांड खत्म हो रही थी। अदालत ने इसे भी बढ़ा दिया है। 30 जनवरी तक सौम्या चौरसिया जेल में ही रहेंगी। पिछले सप्ताह इनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया की कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। ED ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि वह प्रभावशील महिला हैं, उन्हें जमानत मिलने से जांच प्रभावित होगी।

बचाव पक्ष की ओर से सौम्या के लिए कहा गया था कि जिन धाराओं में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह केस उन पर बनता ही नहीं है। ED की तलाशी में सौम्या चौरसिया के यहां से कोई आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद नहीं हुई है। कोल परिवहन मामले से उनका कोई लिंक भी नहीं है। मनी लांड्रिंग केस में एक महिला को इतने अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी देखभाल प्रभावित हो रही है।

11 अक्टूबर से चल रही है कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने 11 अक्टूबर को प्रदेश के कई अफसरों और कारोबारियों के 75 ठिकानों पर छापा मारा था। प्रारंभिक जांच और पूछताछ के बाद 13 अक्टूबर को इस मामले में छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स के तत्कालीन CEO समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और वकील-कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था। उनको 14 दिन की रिमांड में पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। 29 अक्टूबर को इस मामले में एक अन्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने अदालत में समर्पण कर दिया। 10 दिन की पूछताछ के बाद सूर्यकांत को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। तबसे चारों आरोपी जेल में बंद हैं। उनमें से दो के जमानत आवेदन कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है।

ED ने आरोपियों से जुड़ी संपत्तियां अटैच कर ली हैं।अटैच की गई इन संपत्तियों में से सबसे अधिक 65 संपत्तियां कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। सौम्या चौरसिया से जुड़ी 21 संपत्तियां और निलंबित IAS समीर विश्नोई से जुड़ी पांच संपत्तियां भी अटैच की गई हैं। शेष संपत्तियां सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। इन संपत्तियों में कैश, आभूषण, फ्लैट, कोलवाशरी और भूखंड शामिल हैं।कोयला कारोबार से जुड़े सूर्यकांत तिवारी के रायपुर व महासमुंद स्थित मकान में आयकर विभाग ने भी जांच पड़ताल की थी। कोरबा के भी कुछ कारोबारियों के ठिकानों पर रेड की कार्रवाई हुई। प्रदेश में हुई इस जांच के बाद आयकर विभाग की तरफ से कहा गया कि जांच में 200 करोड़ रुपये से अधिक कलेक्शन के सबूत मिले थे।

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