Thursday, December 26, 2024
Homeछत्तीसगढ़सिंधी की कहावत, मोदीजी बने माध्यम, शनिदेव का खेल, अरविंद भैया को...

सिंधी की कहावत, मोदीजी बने माध्यम, शनिदेव का खेल, अरविंद भैया को जेल


वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की कलम… टेक इट ईज़ी

सिंधी में एक कहावत है कि ‘ डींदो आ मथां, पर केहिंजे हथां’। अर्थात देता उपरवाला उपर से है पर किसी और के हाथ से। यानि सुख और दुख, पुरूस्कार और सजा उपरवाला उपर से ही देता है लेकिन माध्यम कोई और हाथ यानि नीचे हमारे बीच से कोई बनता है।

अरविंद केजरीवाल ने एक बयान में कहा कि ये सब भाजपा के इशारे पर हो रहा है। वाकई इशारा तो किसी न किसी का है लेकिन वो सीधे भाजपा का नहीं है। इशारा उपरवाले का है और हां कह सकते हैं कि उपरवाले ने भाजपा को या कहंे कि मोदी को इशारा किया है।

और नीचे मोदी ने ईडी सीबीआई पुलिस आदि को इशारा किया है ‘बेईमानों को पकड़ने का’। हालांकि बेईमानों को पकड़ने में भला अरविंद भैया को भी क्या ऐतराज होना चाहिये, वे खुद भी तो इसी वायदे की रस्सी पकड़कर उपर सत्ता तक आए हैं। उन जैसा बेशर्म दोहरा चरित्र हमारे यहां कुछ अधिक ही देखने को मिलने लगा है।

बेइमानी का बाप, निपटेगी पूरी आप

बस तो इशारों, इशारों में अरविंद भैया का ‘काम होता’ नजर आ रहा है। उनके तीन वरिष्ठ सहयोगियों का ‘काम पहले ही हो’ चुका है। वे पहले से जेल में हैं। आज अरविंद भैया के जाने की भी आशंका थी पर वे राजनीति के महागुरू हैं। गुरूवार को उन्हें ईडी ने बुलाया था पर वे इसमें कानूनी खामी की बात बोलकर ईडी के बुलाए जाने से कतरा गये।
लेकिन ‘बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी’। यहां यूं कहा जाएगा कि ‘बेईमानी का बाप कब तक खैर मनाएगा’।
लो बैठे-बिठाए नयी कहावत ईजाद हो गयी।

अरविंद भैया ने भी नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। ढांेग में, बेईमानी में, छलने में, धोखा देने में, गिरने में। नये कीर्तिमान। बेवकूफी मंे भी….. नया कीर्तिमान। जी हां अगर बेवकूफ नहीं होते तो इतना तेज नहीं दौड़ते कि औंधे मुंह गिर जाएं।

कांच के घर में रहने वाले दूसरों की ओर पत्थर नहीं फेंकते

आराम-आराम से खाते, खाते और खाने देते….. यही दस्तूर है। मगर ना जी… कोई और खाए तो इनके पेट में दर्द…. और बस एक ही बार में सब कुछ खा जाना चाहते हैं लो अब हो गयी न अपच।
बहुत पुरानी घिसी-पिटी कहावत है कि कांच के घर में रहने वाले दूसरों की ओर पत्थर नहीं फेंकते।
वे इस बात को समझ नहीं पाए कि लंबी रेस के घोड़े को इतनी तेज नहीं दौड़ना चाहिये।इतना बेशर्म कोई कैसे हो सकता हैशुरूआत में वे बिना किसी मुरव्वत, लिहाज के घाषणाएं करते रहे कि लोग बेईमानी का पैसा खाते हैं, लोगों के विदेशों में बेईमानी के खाते हैं… ये ढिंढोरा पीट-पीट कर वे दुबले होते गये, बिचारे का मुंह सूखा सा रहने लगा।

पर ये क्या कुर्सी पर आते ही सूखे मुंह वाला ये बांस जैसी काया वाला आदमी गबरू जवान सा नजर आने लगा। चेहरे पर हमेशा सौ वाट का बल्लब जलने लगा।
कुर्सी पर आते ही ये आदमी जिन्हें बेईमान बोला करते थे जिनके खाते टटोला करते थे, उनके साथ उड़नखटोले में उड़ने को लालायित दिखने लगे, उनसे ही गलबहियां करने को आतुर नजर आने लगे। उनसे गठबंधन के लिये गिड़गिड़ाने लगे।
जिस कांग्रेस को बेईमानी के शीर्ष पर होने की घोषणा करते नहीं थकते थे उसी कांग्रेस के आगे कटोरा लेकर चुनाव में एक साथ लड़ने की चिरौरी खुलेआम करते नजर आते थे।
अपने बच्चों की कसम तक खाई थी उसे भी झूठा कर लिया। हमारे देश/धर्म में इससे बड़ी गिरावट कोई नहीं।
इस आम आदमी ने महल ऐसा बनवाया कि हर कोई आम आदमी बनने की ख्वाहिश पालने लगा। अब जब ये आम आदमी जेल जाएगा तभी जनता का भ्रम टूटेगा।

शुरू हुआ शनिदेव का खेल
बेईमान सारे जाएंगे जेल
बहरहाल ज्योतिष से जुड़े लोग ये ऐलान करते हैं कि शनिदेव सक्रिय हो गये हंै और
बेईमान, कपटी, जेल जाएंगे या कोई और सजा पाएंगे।
 
जब से मोदी जी आए हैं इस काम में तेजी आ गयी है।
सजा तो उपर वाला ही दे रहा है मगर मोदीजी द्वारा ईडी को दी गयी स्वतंत्रता के माध्यम से। सिंधी में कहावत है कि ‘डींदो आ मथां, पर केहिंजे हथां’।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments