Thursday, December 26, 2024
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राजनांदगांव में लड़ाई किसान और किसानों के शोषक के बीच – गिरीश देवांगन

00 राजनांदगांव में रमन सिंह को बड़े अंतर से हरायेंगे
00 भाजपा धान खरीदी में अड़ंगा लगाती है, भूपेश सरकार देश में सबसे ज्यादा धान की कीमत देती है
रायपुर। राजीव भवन में खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि पार्टी ने मुझे राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के प्रत्याशी रमन सिंह के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है। मैं पार्टी नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त करता हूॅ। पेशे से कृषक हूं। मेरी आजीविका का साधन खेती और किसानी है। राजनांदगांव का यह चुनाव एक किसान और किसानों के शोषक के बीच है। यह चुनाव उन रमन सिंह के खिलाफ है जिनके 15 साल तक मुख्यमंत्री रहते प्रदेश से 15 लाख किसानों ने आत्महत्या किया था।
उन्होंने कहा कि यह चुनाव उन रमन सिंह के खिलाफ जिन्होंने 2008, 2013 के चुनाव में किसानों से धान पर बोनस देने का वायदा कर नही दिया। यह चुनाव उस रमन सिंह के खिलाफ है जिन्होंने धान की कीमत 2100 रूपये देने का वायदा कर किसानों का वोट तो ले लिया लेकिन धान की न तो कीमत 2100 दिया और न ही 300 बोनस दिया। यह चुनाव उन रमन सिंह के खिलाफ है जो भूपेश सरकार के द्वारा 2500 में धान खरीदी का विरोध करते रहे, जिनके किसान विरोधी चरित्र के कारण भूपेश सरकार ने किसानों को 2500 देने के लिये राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू कर 9000 रूपये और 10000 रूपये प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देना शुरू किया।
प्रदेश के किसानों का आर्शीवाद उनका साथ हमारे साथ है गिरीश देवांगन किसानों के प्रतिनिधि के रूप में राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहा है, हम बड़े अंतर से रमन सिंह को हरायेंगे। राजनांदगांव की बदहाली चुनाव में बड़़ा मुद्दा होगा। राजनांदगांव की जनता के आर्शीवाद से सांसद और तीन बार मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उसी राजनांदगांव की उपेक्षा करते रहे। मैं राजनांदगांव के समग्र विकास के लिये चुनाव मैदान में हूॅ।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता छत्तीसगढ़ में आकर लगातार झूठ बोल कर जाते है कि छत्तीसगढ़ धान खरीदी केंद्र सरकार करती है। छत्तीसगढ़ में धान कांग्रेस सरकार अपने खुद के दम पर खरीदती है धान खरीदने में केन्द्र सरकार का एक पैसे का भी योगदान नहीं है। राज्य सरकार धान खरीदी मार्कफेड के माध्यम से करती है इसके लिये मार्कफेड विभिनन वित्तीय संस्थाओं से ऋण लेती है तथा इस ऋण के लिये बैक गारंटी राज्य सरकार देती है तथा धान खरीदी में जो घाटा होता है उसको भी राज्य सरकार वहन करती है पिछले वर्ष मार्कफेड ने लगभग 35000 करोड़ का ऋण धान खरीदी के लिये लिया था। मोदी सरकार तो घोषित समर्थन मूल्य से 1 रूपये भी ज्यादा कीमत देने पर राज्य सरकार को धमकाती है की वह राज्य से केन्द्रीय योजनओं के लिये लगने वाला चावल नही खरीदेंगे। अकेली छत्तीसगढ़ सरकार है जो अपने धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा कीमत देती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष धान की कीमत 2640 मिली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, जैसे राज्यों में तो किसानों को धान का मूल्य 1100 रूपये मिलता है। छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां किसानों को प्रति एकड़ धान पर 9,000 रूपये तथा अन्य फसल पर 10,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी मिलती है।
उन्होंने कहा कि पूर्व के रमन भाजपा सरकार के दौरान सात से आठ लाख किसान धान बेचत थे और 50 लाख मैट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी 15 साल में नहीं हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सरकार बनने के बाद वादा अनुसार धान की कीमत 2500 रु. प्रति क्विंटल दिया गया तो आज धान बेचने वाले किसानों के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या 25 लाख तक पहुंच गई है और फसल लगाने के रकबा में 5 लाख हेक्टयर की बढ़ोतरी हुई है। केंद्र भले एक दाना चावल मत ले, कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का दाना-दाना धान खरीदेगी। इस वर्ष भी कांग्रेस सरकार ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का लक्ष्य रखा है तथा इस वर्ष राज्य के किसानों से कांग्रेस सरकार 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेगी।

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