[जवाहर नागदेव वरिष्ठ पत्रकार ]
कर्नाटक में भाजपा के साथ नाटक हो गया। जिससे भाजपा को बहुत बड़ा फायदा होगा। दरअसल जिन मुद्दों को लेकर भाजपा सक्सेस ही नहीं सुपर सक्सेस होती रही है, केवल उन्हीं मुद्दों पर वह बार-बार, हर बार जीतेगी ये विश्वास गलत है।
इसमें संदेह नहीं कि हिंदुत्व की बात पर भाजपा को बड़ी वाहवाही मिली है। भरोसा मिला है। लोग यकीन के साथ कह सकते हैं कि नीयत और कर्तव्य पालन में मोदीजी एकदम परफेक्ट हैं। लिहाजा मोदीजी के नाम के सहारे ही भाजपा ने सारे चुनाव जीते ।लेकिन अब मोदीजी को अपने तरकस से भ्रष्टाचार उन्मूलन जैसे तीर निकालने होगे,मोदीजी पर भरोसा किया जा सकता है कि वे आगे ऐसा ही करेंगे। अभी भी वे यही कर रहे हैं। लेकिन अभी बड़ी मछलियों को धर रहे हैं। कहीं दो सौ कहीं पांच सौ तो कहीं पांच हजार दस हजार देने वाले मध्यम वर्ग की पीड़ा ये है कि वो पैसा भी देता है और प्रताड़ित भी होता है। यही वो मुद्दा था जिस पर भाजपा मात खा गयी। कर्नाटक ने जो चालीस परसेन्ट कमीशन का ढोल कांग्रेस ने बजाया उसकी गूंज ने जनता पर गहरा असर कर दिया ।
अलग सियासी रंग
वैसे ये कहना सही होगा कि साउथ की राजनीति नाॅर्थ की राजनीति से अलग होती है, लेकिन इसमें अब ‘मगर’ लग गया है। दोनों दिशाओं की राजनीति अलग होती है मगर अब जो हालात् हैं और जो माहौल ंदेश में बना हुआ है उसमें इस बात को अक्षरशः सही नहीं कहा जा सकता है।
और फिर बेईमानी का मौसम, सरकारी प्रताड़ना का मौसम, घूस का मौसम, समर्थ लोगों की दादागिरी का मौसम तो देश के हर स्टेट में है फिर चाहे वो नाॅर्थ हो या साउथ। छत्तीसगढ़ में इस बार कांग्रेस सरकार से पहले भाजंपा ने प्रदेश में 15 साल राज किया। यानि पूरे 15 साल जनता ने बेशर्म भ्रष्टाचार को सहा, पीड़ा भोगी। खुलेआम कमीशन खोरी हुई। बेहद दुखद बात ये कि इस कमीशनखोरी की बात को मुख्यमंत्री रमनसिंह ने मंच से स्वीकार भी किया। तो जनता के दिल पर क्या बीती होगी। बस इसीलिये सरकारी लोगों द्वारा दुत्कारी गयी जनता ने भाजपा को नकार दिया।
छत्तीसगढ़ में अव्वल तो घूसखोरों को पकड़ा नहीं जाता, अगर कभी रंगे हाथों भी पकड़ा गये तो प्रशासन से उनके खिलाफ कार्यवाही की अनुमति नहीं दी जाती। ऐसा क्यों ? बेईमानों को बचाने के पीछे क्या तर्क है आपके पास ? तो इस जनचर्चा पर और हर पकड़ाए आरोपी के इस कथन पर यकीन कर लें न कि ‘उपर तक पहुंचाना पड़ता है’।
रूप और पैंतरे बदलती भाजपा
आमचर्चा है मोदीजी उसूलों की बनी पक्की सड़क पर नहीं चलते। जहां उन्हें लगता है कि फायदे की पगडण्डी पर उतर जाने से भाजपा और देश को, जनमानस को फायदे में लाया जा सकता है वे तत्काल उसूलों की सड़क त्याग देते हैं।
वे मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम की तरह अडिग होकर अपना और घर का नुकसान उठाने वालों में से नहीं है। मोदीजी तो भगवान कृष्ण की तरह हैं। उन्हें पता है कि ‘छल का आशय यदि धर्म है तो छल स्वीकार है। लेकिन हां मोदीजी की नीयत पर पक्का कोई संदेह नहीं रहा। देश इसीलिये उनका प्रशंसक ही नहीं दीवाना है।
तो भाजपा ने भी जिस रेवड़ी कल्चर का घोर विरोध किया था कुछ हद तक उसी पर अमल करने लगी। यानि रेवड़ी बांटने का आश्वासन देने लगी।
चुनावी मुद्दे छीन लिये कांग्रेस ने
भाजपा के भगवान राम जिन्हें कभी कांग्रेस ने लिखित में कोर्ट में नकारा था, कांग्रेस ने लपक लिये हैं। इतने काम और इतने आयोजन कांग्रेस भगवान राम के नाम पर कर रही है कि भाजपा खिन्न हो गयी है।
उपर से चाहे खुशी जाहिर करे कि भाजपा ने कांग्रेस को राम और हिंदुत्व का मान करना सिखा दिया लेकिन अंदर से आहत है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि किसी क्लास की परीक्षा में किसी प्रश्न का जो सबसे अच्छा जवाब किसी छात्र ने तैयार किया था और वो परीक्षा में बोलने वाला था वही जवाब किसी अन्य छात्र ने हथिया लिया और पहले से आगे आकर बोल दिया।
विभिन्न योजनाओं का पैसा सीधे खाते में जमा करना भी कदाचित् भाजपा से ही सीखा कांग्रेस ने।
भरपूर प्रचार-प्रसार
घर बैठे राशन कार्ड मात्र 60 रूप्ये शुल्क, बेरोजगारी भत्ता, किसान न्याय योजना, गोधन योजना आदि से दिल जीत लिया है। भूपेश बघेल अकेले ही दमदारी से सारा संचालन और देखरेख कर रहे हैं। जनता का दिल जीतने के लिये कदाचित् कुछ छापे, कुछ सजाएं आदि जैसे कार्यक्रम भी करें। जाहिर है कि इन बातों से वे जनता को खुश तो कर ही दंेगे। ऐसे में भाजपा के समक्ष तगड़ी चुनौती खड़ी हो चुकी है। बेहद फूंक-फंूक के चलना होगा। अब तो जोगीजी भी नहीं रहे जो हर बार भाजपा के तारणहार बनकर सामने आते थे। भाजपा की मुश्किल आसान कर दिया करते थे। ज
बकि भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़िया वाद को भी बेहद सकारात्मक तरीके से भुनाया है।
बिना किसी वैमनस्य के, बिना प्रदेश में माहौल खराब किये उन्होनें छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर जोर दिया और इस दिशा मे काम किया। इस खुबसूरती से कि इस पर किसी को कोई रंज या नाराजगी नहीं हुई। इन सारे कामो को बखान भी बेहद खूबसूरती से किया जा रहा है।
भाजपा कैसे करेगी इस चुनौती का मुकाबला
काम को कैसे अंजाम देना है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे इसमें भाजपा माहिर है। नये-नये पैंतरे भाजपा द्वारा दिखाए गये हैं जिसमें उसे कामयाबी मिली है और लोग आश्चर्य चकित रह ये हैं। ऐसा ही कोई नया खेल भाजपा खेले तो कुछ बात बने अन्यथा तो इस वक्त पर हालात बेहद कठिन हैं। बाकी बचे समय में क्या व्यवस्था बनाएगी भाजपा ये देखना बाकी है।
अब भाजपा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कैसी रणनीति अपनाएगी ये देखना मजेदार होगा। दिग्गज सियासतदानों को भी सूझ नहीं रहा है। उपरी तौर पर जरूर बघेल सरकार की बेईमानी का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन जनता बोले चाहे न बोले मगर मन में तो जरूर सोचेगी कि भैया आप लोगों ने क्या किया था, जो उनकी बेईमानी का गाना गा रहे हो… ?