सनातन धर्म में पीपल को पूजनीय और बहुत ही पवित्र माना जाता है। पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता विराजमान हैं। इसलिए इसकी पूजा बहुत लाभकारी होती है। मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा करने से जीवन में हो रहे कष्टों से लेकर पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।
इसके अलावा पाप कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। अगर पीपल की विधि विधान के साथ पूजा करेंगे तो मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं साथ ही अपनी कृपा भी बरसाती हैं। वहीं नियमित रूप से शनिवार के दिन सुबह पीपल को जल चढ़ाने और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है।
इस समय न करें पीपल की पूजा
कभी भी पीपल के पेड़ की पूजा सूर्योदय से पहले बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। इससे घर में दरिद्रता का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी निवास करती हैं, जो दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा ऐसे में अगर आप सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा करेंगे तो इससे घर में हमेशा गरीबी और जीवन में परेशानी आती रहेगी। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस पेड़ के पास जाना चाहिए। इतना ही नहीं कभी भी रविवार को पीपल के पेड़ में जल भी न चढ़ाएं।
पीपल की पूजा कब करनी चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार, पीपल की पूजा हमेशा सूर्योदय के बाद ही करनी चाहिए। कहा जाता है जो व्यक्ति पीपल की पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है। इसकी पूजा करने से ग्रह दोष बाधा, काल सर्प दोष, पितृदोष भी शांत रहते हैं।
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। वीसीएन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)