तिल्दा नेवरा =भगत कंवरराम सेवा मंडल एवं सिंधु सभा,नागपुर के सयुक्त तत्वाधान में सत्कार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया ,केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी के मुख्य आतिथ्य एवं छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी के अध्यक्ष राम गिंडलानी के विशेष आतिथय में सपन्न गरमामयी सत्कार सम्मान समारोह में सिन्धी समाज के गौरव संत साईं कंवरराम की बहन दादी ईश्वरी देवी जी का शाल श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया,
नीतिन गडकरी जी ने अपने उद्द्बोधन में कहा की समाज और राष्ट्र को आगे बढाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान गुरु जनों का रहता है. इन्ही के द्वारा हमें सत्य-असत्य की पहचान,अच्छे और परोपकार के कार्यो को करने की प्रेरणा मिलती है, गिंडलानी जी ने अपने उद्द्बोधन में मानवतावादी कार्यो को आगे बढाने की बातों पर जोर दिया और सम्मानता और भाई – चारे की भावना के साथ प्रेम और व्यवहार बनाकर एक दूसरे की मदद करते रहने की बात कही ।
श्री गिंडलानी ने संत साईं कंवरराम कि जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि संत साईं कंवरराम का जन्म 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में हुआ था। मृदुभाषी संत कंवर राम में कभी अभिमान, कटुता, छल-कपट या लोभ जन्म न ले सका। संगीतज्ञ हासारामजी से उनके पिता ताराचंद और माता तीर्थ बाई दोनों ही प्रभु भक्ति एवं हरि कीर्तन करके संतोष और सादगी से अपना जीवन व्यतीत करते थे।अपने गुरू संत सतराम दास साहिब की सेवा में रहकर वे बड़े ज्ञानी ध्यानी बन गए।
राम गिंडलानी ने संत कंवरराम जी के भारत देश के लिए किए गए कार्यो को देखते हुए उन्हें पदम् विभूषण से नवाजे जाने की मांग केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी जी के माध्यम से केंद्र सरकार से करते हुए कहा कि कंवरराम जी न केवल महान संत थे बल्कि भगवान के अवतार भी थे उसने एक दुखिहारी माँ के मर चुके बच्चे को लोरी दी तो वो बच्चा जी उठा था,। कार्यक्रम में विशेष रुप से उपस्थित संत कंवर राम जी की आखरी निशानी उसकी बहन दादी ईश्वरी देवी का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कहा कि यदि संत कंवर राम को पदम विभूषण से नवाजा जाता है तो.उनकी बहन दादी ईश्वरी देवी के जीते जी भाई को मिले सम्मान को वेअपने आंखों से देखेंगी..