दुर्ग-3 फरवरी को दुर्ग जिला चिकित्सालय के मातृ शिशु अस्पताल में जन्मे दो बच्चों को हुई अदला-बदली के मामले में जिला प्रशासन ने डीएनए टेस्ट करवाने का फैसला लेते हुए आदेश पारित कर दिया है। जल्द ही दोनों शिशुओ का शिशु रोग विशेषज्ञों की देखरेख में डीएनए टेस्ट कराया जाएगा।
आपको बता दे की दुर्ग जिला अस्पताल में दो नवजात बच्चों की अदला-बदली का मामले सामना आया था..। दरअसल शबाना नाम की महिला जिसका सिजेरियन से बचचा हुआ था. डिलीवरी के बाद वह बच्चे को लेकर घर पहुंची. और बच्चे की कलाई में लगे नाम बेड को देखा तो उसमें मां का नाम साधना लिखा हुआ था…। इसके बाद आनंन-फानन में शबाना के परिवार वाले जिला अस्पताल दुर्ग पहुंच गए …उधर अस्पताल प्रबंधन को जैसे ही इस बात का पता चला तो तो अस्पताल के अंदर हड़कंप मच गया ।
बच्चों के हाथ में लगे बेड में लिखी महिला साधना के परिवार को तत्काल अस्पताल बुलाया गया उन्हें पूरी बात बताई गई लेकिन साधना इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुई कि उसका बच्चा बदल गया है…अस्पताल में बच्चा बदलने की खबर कलेक्टर को मिली तो उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाकर अस्पताल प्रबंधन से बात करने के लिए कहा गया। उसके बाद भी बात नहीं बनी तब कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई. टीम से मिली रिपोर्ट के आधार पर दोनों नवजात बच्चों का डीएनए टेस्ट करने का फैसला लिया गया है।
कलेक्टर रिचा प्रकाश चौधरी ने बताया कि दुर्ग जिला अस्पताल में तीन दिन पहले इस मामले का खुलासा हुआ था जिसमें बताया गया कि हफ्ते भर पहले दो बच्चों का जन्म हुआ था इसमें एक पक्ष ने दावा किया है कि उसके पास जो बच्चा है वह उनका नहीं है बच्चे की अदला बदली हुई है हमारे सहायक कलेक्टर जिला अस्पताल की नोडल डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी टीम ने इसकी जांच की प्रारंभिक तौर पर पता चला कि अस्पताल के ओट में टेक्नीशियन के द्वारा बच्चों की अदला-बदली की बात सामने आई है। कलेक्टर की बाइट