Friday, December 27, 2024
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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला…मनी लॉन्ड्रिंग केस रद्द:सुप्रीम कोर्ट ने कहा-न अपराध, न अवैध आय, मामला ही नहीं बनता; टुटेजा पिता-पुत्र सहित 6 को राहत

छत्तीसगढ़ में हुए कथित शराब घोटाला मामले में ED को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश समेत 6 आरोपियों को बड़ी राहत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ECIR और FIR देखने से पता चलता है कि कोई विधेय अपराध (प्रेडिकेट ऑफेंस) नहीं हुआ है। जब कोई आपराधिक धनराशि ही नहीं है, तो मनी लॉन्ड्रिग का मामला ही नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि, ED की शिकायत आयकर अधिनियम के अपराध पर आधारित थी।

6 आरोपियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुईयां की डबल बेंच शुक्रवार को रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश टुटेजा सहित अन्य 6 आरोपियों की याचिका पर सुनवाई की थी। इसके बाद अगली सुनवाई 8 अप्रैल यानी आज हुई, जिसमें डबल बेंच ने फैसला सुनाया है।

भूपेश बघेल ने कहा- यह सही समय है जब ED जैसी जांच एजेंसियों को भी समझना चाहिए कि उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए, वे किसी राजनीतिक खेल का हिस्सा न बनें।
भूपेश बघेल ने कहा- यह सही समय है जब ED जैसी जांच एजेंसियों को भी समझना चाहिए कि उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए, वे किसी राजनीतिक खेल का हिस्सा न बनें।

भूपेश बोले- मोदी सरकार बेनकाब हुई

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्व CM भूपेश बघेल ने कहा कि, ED का शर्मनाक राजनीतिक दुरुपयोग साबित हुआ और मोदी सरकार बेनकाब हुई। उन्होंने कहा कि, कोर्ट के आज के फैसले से साबित हो गया है कि ED भाजपा के इशारे पर हर मामले को मनी लॉड्रिंग का मामला बनाकर विपक्षी दलों को बदनाम करने की साजिश रच रही है।

उन्होंने कहा कि, ऐन विधानसभा चुनाव से समय ED ने शराब घोटाले का मामला दर्ज किया और भाजपा को चुनावी हथियार दिया। भाजपा ने पूरे चुनाव में कांग्रेस की सरकार को बदनाम करने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि भाजपा सिर्फ झूठ फैला रही थी।

भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम करने का यह षडयंत्र खुल गया है। भूपेश ने कहा कि, जनता देखेगी कि और जो भी मामले कांग्रेस को बदनाम करने के लिए खड़े किए गए हैं वो भी इसी तरह से धराशायी होंगे।

इससे पहले शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान ED की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू से जस्टिस एएस ओका ने कहा था कि अगर कोई अपराध नहीं है, अपराध से कोई आय नहीं है। इसलिए ये मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हो सकता है। कोर्ट ने कहा था कि शिकायत पर विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि कोई विधेय अपराध नहीं है।

इस पर सालिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नया विधेय अपराध दर्ज किया गया है, जिसके आधार पर ED ने एक ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दायर की जाएगी। ASG ने कहा कि, स्थगन के कारण नहीं शिकायत नहीं दर्ज हो सकी।

कोर्ट ने ED को बयान दर्ज करने के लिए कहा है। इसे लेकर ASG ने समय मांगा, जिसके बाद ED को 4 दिन का समय दिया गया है। टुटेजा पिता-पुत्र के साथ ही इसमें करिश्मा ढेबर, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी और सिद्धार्थ सिंघानिया ने सह याचिकाकर्ता हैं।

11 महीने सुप्रीम कोर्ट ने पिता-पुत्र की गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक

अनिल टुटेजा और यश टुटेजा की गिरफ्तारी पर करीब 11 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने ED की कार्रवाई को गलत बताया था। कहा था कि, जिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करना चाह रही है, उसमें कोई ठोस बेस नहीं है। यानी ईडी ने यह नहीं बताया कि टुटेजा ने कैसे अवैध धन का उपार्जन किया और कैसे इसकी मनी लॉन्ड्रिंग की।

ED ने 100 लोगों पर कराई है FIR

शराब और कोयला घोटाला मामले में ED ने दो पूर्व मंत्रियों, विधायकों समेत 100 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कराई है। इनमें कांग्रेस सरकार में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व विधायक यूडी मिंज, गुलाब कमरो का नाम शामिल है।

इसके साथ ही शिशुपाल के साथ ही 2 निलंबित IAS, रिटायर्ड IAS अफसर और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल समेत अन्य के नेताओं के नाम शामिल है, जिसमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा व उनके बेटे यश टूटेजा को भी आरोपी बनाया गया है। इस कार्रवाई के खिलाफ उन्होंने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी का आरोप

ED के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में शराब में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया और 2019-22 में 2,000 करोड़ रुपए से अधिक काले धन की कमाई हुई। आरोप है कि CSMCL (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से शराब खरीदने के दौरान रिश्वतखोरी हुई।

ये पूरा सिंडिकेट सरकार के इशारों पर ही चलता रहा। तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी इसकी जानकारी थी और कथित तौर पर कमीशन का बड़ा हिस्सा उनके पास भी जाता था। चार्जशीट के मुताबिक मंत्री कवासी लखमा और तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास को 50-50 लाख हर महीने दिए जाते थे।

स्कैनिंग से बचने के लिए नकली होलोग्राम भी बनाई गई। जिसकी सप्लाई के बाद बॉटल में चिपकाया गया और बिना स्केनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई। हर महीने शराब की 200 गाड़ियों की सप्लाई एजेंसियों के जरिए होती रही और अवैध शराब के 800 केस हर गाड़ी में रखे जाते थे।

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