Wednesday, March 12, 2025
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हे भगवान हमने क्या बिगाड़ा …माँ-बाप और दादी की मौत बिलख पड़ी बेटिया ,बेटा

वीसीएन टाइम्स इन्दर कोटवानी की रिपोर्ट,,,

तिल्दा नेवरा -रायपुर जिले के धरसीवा ब्लॉक के मेहरसखा गांव में एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जिसने हर किसी की आंखें नम कर दी है, यहां 45 साल के संतोष साहू और उसकी पत्नी राजेश्वरी की मौत एक सड़क हादसे में हो जाने के बाद मां इस सदमे को सहन नहीं कर सकी और दूसरे दिन उसकी भी मौत हो गई।एक ही घर से दो दिनों में तीन लोगों की उठी अर्थी को देख पूरा गांव सदमे में है।

सडक हादसे संतोष की हुई मौत

यह सच ही कहा गया है कि सांसों के एक पल का भी भरोसा नहीं होता, कब किसकी  सांस थम जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है, मेहरसखा गांव का साहू परिवार इस बात का जीता जागता उदाहरण है । 3 दिन पहले तक इस परिवार का पल-पल खुशियों से गुजर रहा था, लेकिन दो दिनों खुशिया गमो बदल गई ,गुरुवार को संतोष साहू अपनी पत्नी राजेश्वरी के साथ शादी समारोह में शामिल होने पास के गाव मनसा गया हुआ था।और शुक्रवार सुबह जब वह लौट रहा था तो एक तेज रफ्तार ट्रक काल बनकर उनके सामने आई और उनकी बाइक को इतनी जोर से टक्कर मारी की पति-पत्नी बाइक से उछल कर सड़क से 15 फीट दूर जा गिरे इस हादसे में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

.संतोष जब शादी में शामिल होने घर से निकला था,तो अपनी दो बेटियों और बेटे को मां के भरोसे छोड़कर उनसे यह कह कर गया था कि वह दूसरे दिन सुबह लौट आएगा लेकिन,माँ से किए गए वादे को वो पूरा नहीं कर सका, और  पत्नी के साथ घर लौटा भी तो वह सही सलामत नहीं बल्कि टुकड़ों में एक पन्नी में लपेटा हुआ पहुंचा और देर शाम होने के कारण बिना रुके घर से बेटे व परिजनों और रिश्तेदारों के साथ ग्रामीणों के कंधो पर सवार होकर शादी के वक्त साथ जीने और मरने की खाई कसम और दिए वचन को निभाते  पत्नी के साथ शमशान पहुचा .. जहां एक ही चिता पर पति-पत्नी  का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।

सडक हादसे में संतोष के साथ राजेश्वरी हुई मौत

घर के चौखट से जब पति-पत्नी की अर्थी उठी तो लोगों की आंखों से आंसू बहने लगे।संतोष राजेश्वरी की  बेटियां और बेटे का हाल रो-रो कर बुरा हो चुका था। संतोष की वृद्ध मां पास बैठी बेटे को छूकर ऐसे उठा रही थी मानो वह उसकी गोद में सोया हुआ था। लेकिन जब अर्थी  आगे बढ़ी तो मां के आंखों से बहते अश्रु को देख पूरा गांव गमगीन हो गया। मां का इकलौता दुलारा बेटा उनसे सदा के लिए दूर हो गया। जिस मां ने बेटे को 9 महीने कोख में रखा था वह मां बेटे के  दुनिया छोड़कर चले जाने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और दूसरे दिन उसके भी प्राण पखेरू उड़ गए…और  दो दिनों में हसते खिलते परिवार की खुशियां पूरी तरह से छीन गई। बेटे बहू के मौत के बाद मां की मौत से पुरे गाव में गम के आंसू थे। राम-नाम सत्य के उद्घोष के साथ जब मां की अर्थी निकली तो गांव वाले भी अपनी आंखों से आंसुओं को गिरने से  रोक नहीं पाए और कहने लगे.. भगवान ऐसा गम किसी और परिवार को ना देंना।

सहयोगी रिपोर्टर सुधीर नायक

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