बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी का निधन हो गया, 72 वर्ष के सुशील कुमार मोदी कैंसर से पीड़ित थे. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरीचौधरी ने X पर पोस्ट करके उनके निधन की जानकारी दी,
कैंसर वक्त नहीं देता- यह आज भी उतना ही साबित तथ्य है। वरना, बिहार की राजनीति के पुरोधा सुशील कुमार मोदी अपने कैंसर की सूचना देने के 40 दिनों बाद ही रुखसत नहीं हो जाते। बिहार में भारतीय जनता पार्टी की लंबे समय तक पहचान रहे दिग्गज नेता सुशील कुमार मोदी को कैंसर ने लील लिया। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद सुशील मोदी का सोमवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। पिछले महीने की तीन तारीख को उन्होंने कैंसर होने की जानकारी देते हुए सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी। पूर्व उपमुख्यंत्री सुशील मोदी गले के कैंसर से पीड़ित थे। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उनका इलाज चल रहा था।
सार्वजनिक जीवन में अंतिम संदेश
सुशील कुमार मोदी ने 03 अप्रैल को सार्वजनिक जीवन के लिए अंतिम संदेश दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- “पिछले छह माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।” यह लिखने के बाद जब सुशील मोदी बिहार आए तो एयरपोर्ट पर उनकी हालत देखते ही समर्थकों को झटका लगा था। उनका शरीर अचानक गिर गया था। इसके बाद उनके आवास पर भाजपा के कई दिग्गज मिलने के लिए पहुंचे तो परिजनों ने उनकी तस्वीर लेने से मना कर दिया था।
जेपी आंदोलन के त्रिमूर्ति में से एक थे सुशील मोदी
सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे त्रिमूर्ति के रूप में जाने जाते थे। सुशील मोदी शुरुआत से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे। 1971 में सुशील मोदी ने छात्र राजनीति से राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद युवा नेता के रूप में इनकी पहचान विश्वविद्यालय से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। साल 1990 में सुशील ने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद बिहार की राजनीति में उनका कद बढ़ता ही चला गया।