छत्तीसगढ़ में BH सीरीज के साथ गाड़ियों के नंबर का रजिस्ट्रेशन होगा। ऐसी गाड़ियों के नंबर प्लेट पर CG की जगह BH लिखा हाेगा। परिवहन विभाग ने आदेश जारी किया है। इसके तहत हाल ही में प्रदेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में छत्तीसगढ़ में भारत (बीएच) सीरीज के वाहन पंजीयन लागू कराए जाने का निर्णय लिया था।
भारत सरकार की ओर से लागू बीएच सीरीज के तहत दो पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए एक बार में दो वर्ष का टैक्स जमा कराना होगा। दैनिक भास्कर ने इसे लेकर परिवहन आयुक्त एस प्रकाश से बात की। अधिकारी ने बताया कि ये नियम सभी के लिए लागू नहीं होगा।
सामान्य रूप से जैसे गाड़ियों का CG सीरीज में रजिस्ट्रेशन होता था वो जारी रहेगा। ये सिर्फ सेंट्रल डिपार्टमेंट, और ऐसे प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों के लिए है जिनका 4 राज्यों में आना-जाना हो, ट्रांसफर होता रहता हो। BH सीरीज के लिए भारत सरकार की गाइडलाइन ही मान्य होंगी उन्हीं के तहत ये रजिस्ट्रेशन होगा।
क्या है BH नंबर प्लेट लगवाने की फीस?
BH सीरीज नंबर प्लेट को तीन अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें 10 लाख रुपये से कम कीमत वाले वाहनों के लिए भारत सीरीज नंबर प्लेट लेने के लिए वाहन की कीमत का 8 प्रतिशत फीस देनी होगी। इसके बाद 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच की कीमत वाले वाहन के लिए 10 प्रतिशत तक चार्ज देना होगा।
अगर वाहन की कीमत 20 लाख रुपये से ज्यादा है, तो मालिक को बीएच सीरीज नंबर प्लेट प्राप्त करने के लिए वाहन की कीमत का 12 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। फीस की दर प्रदेश और भारत सरकार के नियमों के बदलाव पर निर्भर है।
कौन लगवा सकता है वाहन में BH नंबर प्लेट?
भारत सीरीज नंबर प्लेट वे लोग लगवा सकते हैं, जिनकी नौकरी डिफेंस यानी किसी भी सेना या पैरामिलिट्री फोर्स में हो। इसके अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कर्मचारी भी इस नंबर प्लेट को लगवा सकते हैं।
वहीं, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोग भी इस नंबर प्लेट को लगवा सकते हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वे ऐसी कंपनी में काम करते हैं, जिसका ऑफिस चार से अधिक राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित है।
कैसे करें BH सीरीज नंबर के लिए अप्लाई?
BH सीरीज नंबर प्लेट लगवाने के लिए सबसे पहले परिवहन अधिकारी से अपने दस्तावेज वेरीफाई कराने होंगे। फिर वाहन मालिक MoRTH के वाहन पोर्टल पर लॉग इन करना होगा। यह लॉग इन वाहन खरीदते समय ऑटोमोबाइल डीलरों की मदद से भी किया जा सकता है।
डीलर को मालिक की ओर से पोर्टल पर फॉर्म 20 भरना होगा। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को फार्म 60 भरना होगा और एक एम्पलॉय आईडी और वर्क सर्टिफिकेट जमा कराना होगा।