तिल्दा-नेवरा -तिल्दा के ग्राम छतौद मे चंद्रशेखर के निवास पर चल रहे भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास गौरव जोशी ने रुकमणी-कृष्ण के विवाह का वर्णन के साथ-साथ रासलीला के महत्व पर प्रकाश डाला। जोशी ने रासलीला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवात्मा का परमात्मा से संयोग तथा पूर्ण कृपा प्राप्त करना ही रासलीला का उद्देश्य था। ब्रह्म और जीव का मिलन ही रास है, जो माया के आवरण से रहित शुद्ध है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के बीच हुए रासलीला से आत्मा से परमात्मा का मिलन हुआ है। ये सांसारिक मिलन नहीं बल्कि आत्मा व परमात्मा के बीच का मिलन है। इस रासलीला को काम देव असफल नहीं कर सका जिस रासलीला को देखने भगवान शंकर गोपी बनकर आए हो उस आध्यात्मिक की पराकाष्ठा वाली भगवान की रासलीला का इस भौतिक युग में मजाक उड़ाने वाले हमारी आस्था संस्कृति और देश का मजाक बना रहे हैं |रासलीला का अर्थ ना जानने वाले मूर्ख हैं उनके अर्थ का अनर्थ करने वाले पापी है परमपिता परमेश्वर ने हजारों सालों से तपस्या करने वाले बड़े-बड़े ऋषि यों को वरदान दिया था इस अवतार में भी गोपी बनेगी और भगवान के साथ-साथ भक्ति नृत्य अर्थात रासलीला करेंगे
झांकी में निधि और अजनी
कथा में गौरव जोशी ने बताया कि भागवत कथा का प्रत्येक प्रसंग मनुष्य के चरित्र और स्वभाव को सुधारता है उन्होंने कथा वाचन करते हुए बताया कि कथा श्रवण करने पर श्री कृष्ण के प्रति प्रेम ना हो पाप में घृणा ना जागे धर्म के प्रति प्रेरित ना हो तो यह समझना कि आपने कथा सुनी ही नहीं पाप कर्मों का नाश करती है कथा प्रेम को बढ़ाती कथा पहले हम अपने मन को सुधारे फिर जगत को सुधारने निकले..
अंत में रुक्मणी और श्री कृष्ण की विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि पति तो पति होता है वो पति परमेश्वर तभी बन सकता है जब परमेश्वर जैसा काम करें पत्नी संग सचिव प्रेम करें इस दौरान रुक्मणी विवाह की सुंदर सी झांकी प्रस्तुत की गई झांकी में निधि और अजनी ने रुक्मणी और श्री कृष्ण बनकर विवाह रचाया