भारत-पाकिस्तान 2,289 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। इसमें से करीब 192 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र जम्मू में पड़ता है। वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LOC) मुख्य रूप से कश्मीर में पड़ती है।
भारत लगातार चीन और पाकिस्तान सीमा पर खुद को मजबूत कर रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सीमा पर रक्षा बुनियादी ढ़ांचे में लगातार सुधार और विकास किया जा रहा है। वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने भी बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में सैन्य संघर्षविराम की घोषणा के बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना के टैंकों के लिए रैंप बनाने और बीएसएफ के बंकरों को मजबूत करने सहित रक्षा बुनियादी ढांचे में बड़ा सुधार किया है। सूत्रों ने यह भी बताया कि बुनियादी ढांचे के पुनर्निमाण और कुछ नए निर्माण का पहला चरण हाल ही में पूरा किया गया है। पहले चरण के तहत रक्षा विकास कार्य जम्मू में मोर्चे के साथ 26 किलोमीटर की दूरी में किए गए हैं। वहीं, इसी इलाके में 33 किलोमीटर की सीमा में एक और काम कराया जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत-पाकिस्तान 2,289 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। इसमें से करीब 192 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र जम्मू में पड़ता है। वहीं, जम्मू से पहले सीमा देश के पश्चिमी भाग में गुजरात और राजस्थान से भी गुजरती है। वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LOC) मुख्य रूप से कश्मीर में पड़ती है। कश्मीर में दोनों देश करीबन 772 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
सीमा पर किया जा रहा रक्षा बुनियादी ढांचे का विकास
पाकिस्तान के साथ मोर्चे पर किए गए रक्षा बुनियादी ढांचे में कई डीसीबी (खाई-सह-बंद) का निर्माण और पुनर्निमाण, क्षतिग्रस्त सीमा बाड़ का रखरखाव, आगे के क्षेत्रों में सेना के टैंकों की आवाजाही के लिए रैंप का निर्माण, सीमा सुरक्षा बल ‘मोर्चा’ का विकास भी शामिल है। अधिकारियों ने कहा कि इसके साथ ही बंकर- निगरानी और अन्य सुरक्षा तंत्र की स्थापना के लिए स्थान का विकास भी किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आवंटित किए गए धन से काम कराया जा रहा है।
बंकरों की हो रही किलेबंदी
बीएसएफ के अधिकारियों ने यह भी बताया कि जम्मू क्षेत्र में सीमा चौकियों तक पहुंचने के लिए बीएसएफ के जवानों के वाहनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कच्चे रास्ते को समतल करने का काम भी किया जा रहा है। इसके साथ ही बीएसएफ द्वारा कश्मीर क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर इसी तरह का काम किया गया है। वहां बीएसएफ ने अपने सैनिकों के लिए 115 अग्रिम रक्षा स्थानों (एफडीएल) पर बंकरों को सीजीआई (नालीदार जस्ती लोहे) से सौर ऊर्जा से लैस और इस्पात से बने बंकरों में परिवर्तित कर रहा है।
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीमा पर किए जा रहे कामों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान द्वारा 20 फरवरी, 2021 को जम्मू और कश्मीर में मोर्चे पर अपने संघर्ष विराम समझौते को नवीनीकृत करने के बाद ये काम शुरू कराए गए थे। हाल ही में 26 किलोमीटर सीमा क्षेत्र में इसका पहले चरण पूरा किया गया है। वहीं, 33 किलोमीटर लंबे सीमा क्षेत्र में दूसरे चरण के तहत काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीमा पर बाड़ के पास अगर कोई बड़ा काम होता है तो दोनों पक्ष एक दूसरे से इसके बारे में जानकारी साझा करते हैं।
नहीं हुई कोई बड़ी घटना
अधिकारियों ने यह भी बताया कि कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो बीते साल का सैन्य संघर्ष विराम समझौता ठीक तरह से चल रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ घटनाओं में पाकिस्तान द्वारा 6 सितंबर को जम्मू में अकारण गोलीबारी करने की घटनाएं शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बंदूकों की खामोशी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति बनाए रखने में मदद कर रही है। इतना ही नहीं सीमावर्ती निवासी और किसान अपना सामान्य काम निर्बाध रूप से कर रहे हैं। हालांकि अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे पाकिस्तान द्वारा की जाने वाली अकारण गोलीबारी से डरते नहीं हैं और उनका जवाब देने में सक्षम हैं।
गौरतलब है कि 772 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर सेना का पहरा है। बीएसएफ इस मोर्चे के लगभग 435 किलोमीटर हिस्से में अपनी परिचालन कमान के तहत तैनात है