Tuesday, January 28, 2025
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उज्जैन के ‘कमांडर इन चीफ’ हैं काल भैरव, यहां कलेक्टर-एसपी भी चढ़ाते हैं शराब

भोपाल

मध्य प्रदेश उज्जैन के ‘कमांडर इन चीफ’ काल भैरव मंदिर इन दिनों चर्चा में है

दरअसल मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने राज्य के धार्मिक शहरों में शराबबंदी का फैसला लिया है इन धार्मिक शहरों में उज्जैन भी शामिल है ऐसे में यदि शराबबंदी हुई तो काल भैरव मंदिर में प्रसाद रूपी चढ़ने वाली शराब पर भी प्रतिबंध लगेगा? अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं..

बता दे कि मध्य प्रदेश का यह एक ऐसा मंदिर है, जहां चाहे मंत्री हो या सांसद,जज हो या वकील, कलेक्टर हो या एसपी सभी प्रसाद में शराब चढ़ाते हैं.. हालांकि सरकार ने साफ किया है कि मंदिर में प्रसाद रूपी शराब मिलती रहेगी।

भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास जितना समृद्ध है, उतना ही विविधतापूर्ण भी है। मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित काल भैरव मंदिर एक ऐसी रहस्यमयी जगह है, जहां धार्मिक, तांत्रिक और ऐतिहासिक परंपनाओं का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे छिपे रहस्यों और चमत्कारी घटनाओं ने इसे दुनिया भर में मशहूर कर दिया है। मध्य प्रदेश के धार्मिक शहरों में शराबबंदी की खबरों के बीच एक बार फिर ये मंदिर चर्चा में है।

मोहन यादव सरकार ने राज्य के धार्मिक शहरों में शराबबंदी का फैसला लिया है इन  धार्मिक शहरों में उज्जैन भी शामिल है ऐसे में यदि शराबबंदी हुई तो  काल भैरव मंदिर में प्रसाद रूपी चढ़ने वाली शराब पर भी प्रतिबंध लगेगा? अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं.

.उज्जैन का काल भैरव मंदिर, एक रहस्यमयी और चमत्कारी जगह है। यहां भक्तों को धार्मिक, तांत्रिक और ऐतिहासिक परंपराओं का अनोखा संगम देखने को मिलता है। काल भैरव, उज्जैन के रक्षक देवता हैं, जिन्हें शिव का उग्र रूप माना जाता है। उन्हें शहर का सेनापति भी माना जाता है। मंदिर में शराब चढ़ाने की अनोखी परंपरा है, जहां चढ़ाई गई शराब रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाती है।

काल भैरव मंदिर एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों पर बना है। इसका निर्माण राजा भद्रसेन ने करवाया था। यहां परमार और मराठा कालीन वास्तुकला का मिश्रण है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर चित्रकारी और मूर्तियां हैं। इतिहासकारों के अनुसार, परमार काल (9वीं से 13वीं शताब्दी) में यहां धार्मिक गतिविधियां बढ़ीं। मराठा काल में मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। कहा जाता है कि पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद मराठा सेनापति महादजी शिंदे ने यहां प्रार्थना की थी। विजय के बाद उन्होंने यहां अपनी पगड़ी चढ़ाई। तब से काल भैरव की मूर्ति पर मराठा शैली की पगड़ी सजाई जाती है।

स्कंद पुराण के अवंति खंड में काल भैरव की पूजा का वर्णन है। उन्हें शिव का उग्र रूप माना जाता है, जो बुराई का नाश करते हैं। वह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, खासकर मुश्किल समय में। काल भैरव की पूजा का मुख्य उद्देश्य जीवन की नकारात्मकता से मुक्ति पाना है। और जीवन की कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना है। उनकी मूर्ति को लाल सिंदूर और कुमकुम से सजाया जाता है। यह उनकी शक्ति का प्रतीक है।

काल भैरव तांत्रिक और शैव संप्रदायों के लिए पूजनीय देवता हैं। उन्हें कपालिका और अघोरा संप्रदायों में भी पूजा जाता है। उज्जैन इन संप्रदायों का एक प्रमुख केंद्र था। काल भैरव की पूजा शक्ति और रहस्य की पूजा मानी जाती है। इसमें तांत्रिक अनुष्ठानों और पंचमकार का महत्व है। वर्तमान में, केवल शराब ही प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। बाकी चार प्रसाद प्रतीकात्मक रूप में होते हैं।

मंदिर में शराब चढ़ाना एक रहस्यमयी प्रक्रिया है। भक्तों का मानना है कि शराब चढ़ाने से संकट दूर होते हैं। लेकिन शराब का गायब होना विज्ञान के लिए एक रहस्य है। यह रहस्य मंदिर को और भी रहस्यमय बनाता है।भक्त जब अपने भगवान को शराब चढ़ाते हैं, तो पुजारी उसे देवता के मुख के पास लाते हैं और शराब गायब हो जाती है। यह भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है। इसे तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिक शक्तियों का प्रमाण माना जाता है। लेकिन विज्ञान इसे समझ नहीं पाया है। यह रहस्य मंदिर की आस्था को और गहरा बनाता है।

मध्य प्रदेश की भाजपा  सरकार ने राज्य के धार्मिक शहरों में शराबबंदी का फैसला लिया है इन धार्मिक शहरों में उज्जैन भी शामिल है ऐसे में यदि शराबबंदी हुई तो  काल भैरव मंदिर में प्रसाद रूपी चढ़ने वाली शराब पर भी प्रतिबंध लगेगा? अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं….

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