रायपुर-रायपुर के वार्ड परिसीमन का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। रायपुर के मेयर इन काउंसिल मेंबर आकाश तिवारी ने याचिका लगाई है। उन्होंने मांग की है कि जो मौजूदा परिसीमन किया गया है उसे रद्द किया जाए, क्योंकि ये नियम विरुद्ध और आम जनता के लिए परेशानियों से भरा हुआ है।
अब जल्द इस मामले में सुनवाई हाईकोर्ट कर सकता है। इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजनांदगांव नगर निगम, कुम्हारी, बेमेतरा और तखतपुर नगर पालिका में होने वाले परिसीमन पर रोक लगा दी है।
कांग्रेस नेताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि, प्रदेश के अन्य जिलों के नगरीय निकायों के परिसीमन को रोका गया है, रायपुर में भी हो रही गड़बड़ियों को देखा जाना चाहिए। रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने बताया कि परिसीमन के लिए 2011 की जनगणना को आधार बताया जा रहा है। जबकि इससे पहले 2019 में इसी रिपोर्ट के आधार पर वार्ड परिसीमन हो चुका है। फिर ऐसा किया जाना ठीक नहीं।
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने परिसीमन को लेकर कांग्रेसियों की आपत्तियों पर कहा कि, जो हश्र कांग्रेस का विधानसभा और लोकसभा में हुआ था आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस का वही हाल होगा। क्योंकि कांग्रेस का जनहित से कोई सरोकार नहीं है। यह अपने लिए राजनीति करते हैं अपने स्वार्थ के राजनीतिक करते हैं। जनता को धोखा देने का और ठगने का काम करते हैं।
कांग्रेस ने रायपुर के परिसीमन को रोकने की मांग हाईकोर्ट से की है। आने वाले सप्ताह में इसकी सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राजनांदगांव नगर निगम, कुम्हारी, बेमेतरा और तखतपुर नगर पालिका में होने वाले परिसीमन पर रोक लगा दी है, तो ऐसे में रायपुर के परिसीमन पर फिर से विचार किया जा सकता है।
जहां रोक लगाई गई वहां के लिए अदालत ने पूछा है कि कोर्ट ने पूछा है कि राज्य सरकार 2011 की जनगणना के आधार पर अभी परिसीमन क्यों कर रही है। इन मामले की सुनवाई जारी है।
परिसीमन में जिस तरह से वार्ड की नई सीमाएं तय हुई हैं, शहर के 21 वार्डों का क्रमांक बदला गया है। जैसे पहले जो वार्ड 31 नंबर का था वो अब 32 नंबर कर दिया गया है। इस वजह से लोगों डॉक्यूमेंट में पते का बदलाव करना होगा। क्योंकि लोगों पतों पर वार्ड के पुराने नंबर लिखे हैं, जो बदल गए।
रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे का कहना है कि ऐसा 2 लाख से अधिक लोगों के साथ होगा।
कांग्रेस दाे बड़ी वजहों से परिसीमन को गलत बता रही है। पहली वजह राजनीतिक है। कांग्रेस का दावा है कि जिन वार्ड में कांग्रेस हमेशा जीतती रही, उन वार्ड में सबसे अधिक बदलाव किए गए हैं। कांग्रेस के पार्षद आकाश तिवारी के वार्ड को खत्म ही कर दिया गया।
वार्ड का एक हिस्सा गुरू गोविंद सिंह वार्ड और दूसरे हिस्सा लाल बहादुर शास्त्री वार्ड में जोड़ दिया गया है। वार्ड नंबर-12 महात्मा गांधी वार्ड के साथ भी ऐसा ही हुआ है। हालांकि यहां के मौजूदा पार्षद भाजपा के प्रमोद साहू हैं।
दूसरी बड़ी वजह जनता को होने वाली परेशानी और परिसीमन का आधार 13 साल पुराने जनगणना 2011 को मानना है। कांग्रेस का दावा है कि परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर 2019 में हो चुका है। नई जनगणना 2026 में होगी।
अगर इस वक्त 2024 में परिसीमन किया जा रहा है तो क्या फिर 2026 की जनगणना के हिसाब से 2028 में जनगणना होगी। यदि ऐसा हुआ ताे हर बार लोग अपने दस्तावेजों में वार्ड नंबर बदलवाते रहेंगे ये उन्हें परेशान करने के सिवा और कुछ नहीं।