छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को शून्य घोषित करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। दरअसल, चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए कांग्रेस-भाजपा ने लोक-लुभावने वादे किए हैं, याचिका में इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया गया है।
याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग के संरक्षण में मतदाताओं को प्रलोभन देने का खुला खेल चला है। इसके लिए चुनाव आयुक्त पर भी आपराधिक केस दर्ज किया जाए। याचिका रायगढ़ के निर्दलीय प्रत्याशी और सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने दायर की है।
छत्तीसगढ़ में औद्योगिकीकरण सहित जनहित के मामलों को लेकर आंदोलन करते रहे सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने बताया कि वे रायगढ़ से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें बेबी वॉकर चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था।
उन्होंने याचिका में बताया है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने जिस दिन अधिसूचना जारी की, उसी दिन से राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इसके बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों ने आचार संहिता लागू होने के बाद मतदाताओं को लुभाने के लिए कर्जमाफी, बेरोजगारों को रोजगार देने, महिला स्वसहायता समूह की कर्ज माफी, महिलाओं को मुफ्त में गैस सिलेंडर, आर्थिक प्रलोभन जैसे कई घोषणाएं की है, जो चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट से चुनाव रद्द करने की मांग
राधेश्याम शर्मा ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग के संरक्षण में दोनों राजनीतिक दलों ने लोक लुभावन घोषणा पत्र जारी किया है। इससे स्वस्थ्य लोकतंत्र की स्थापना संभव नहीं है। आचार संहिता के बीच राजनीतिक दलों ने जिस तरह से मतदाताओं प्रभावित करने के लिए प्रलोभन देकर घोषणाएं की है और आर्थिक लाभ देने का झांसा दिया है। इससे आचार संहिता पूरी तरह दूषित हो गई है। याचिका में चुनाव को रद्द कर राजनीतिक दलों को इस तरह से खुला संरक्षण देने वाले केंद्रीय और राज्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाकर उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। साथ ही छत्तीसगढ़ में दोनों ही राजनीतिक दलों की मान्यता को भी रद्द किया जाए।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का भी किया उल्लंघन
48 घंटा के पहले कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित कराया और प्रचार-प्रसार किया, जो जनप्रतिनिधित्व अधिनिधित्व अधिनियम 1951 का खुला उल्लंघन है। इसकी शिकायत उन्होंने केंद्रीय और राज्य चुनाव आयोग से किया था, जिसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके साथ ही आयोग ने 48 घंटा पहले शुष्क दिवस घोषित किया था। जबकि, संवैधानिक रूप से आचार संहिता लागू होने तक इसे लागू किया जाना चाहिए। निर्वाचन आयोग को न्यायालय का दर्जा दिया गया है, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन कर दोनों दलों को खुली छूट दे रखी थी, जो आपराधिक कृत्य किया है।
कांग्रेस और भाजपा की घोषणाएं, जिन्हें याचिका में आधार बनाया गया है
- केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा
- 200 यूनिट फ्री बिजली
- कॉलेज छात्रों को मुफ्त बस सेवा
- गैस सिलिंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी
- महिला समूहों का कर्ज माफ
- भूमिहीन श्रमिकों को 10 हजार रुपये सालाना
- गृह लक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को प्रतिवर्ष 14 हजार रुपये।
भाजपा की प्रमुख घोषणाएं
- BPL हितग्राहियों को 500 रु में रसोई गैस सिलेंडर
- महतारी वंदन योजना में प्रतिवर्ष 12 हजार रु
- भूमिहीन श्रमिकों को 10 हजार रु सालाना
- चरण पादुका योजना फिर से होगी शुरू
- युवाओं को उद्योग पर 50 फीसद सब्सिडी
- एक लाख सरकारी नौकरी
- 18 लाख आवास का निर्माण