तिल्दा नेवरा-तिल्दा नेवरा में 7 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के दुसरे दिन मुनि संघ व प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी भूषण विनय सम्राट भैया के निर्देशन में सभी क्रियाएं धार्मिक विधि विधान से पूरी कराई गई।रविवार को पंच कल्याण के दूसरे दिन गर्भ कल्याणक के उत्तरार्ध की क्रियाएं की गईं। वहीं महोत्सव में दूसरे शहरों से भी लोगों का आवागमन शुरू हो गया है।
रविवार को सुबह से ही पूजन पाठ व हवन का सिलसिला शुरू हो गया था।नित्य अभिषेक,शांतिधारा ओर गर्भ कल्याणक पूजन के बाद विश्व शांति के लिए शांति हवन भी पूजा स्थल पर किया गया। भगवान के गर्भावतरण की धार्मिक क्रियाओं में मंचासीन इंद्र इन्द्राणियों ने महिला संगीत व माता की गोद भराई के सांस्कृतिक व पारंपरिक रस्मों में भाग लिया।
दोपहर में निकाली कलश यात्रा:गुरुवार को दोपहर में धर्म क्रियाओं के लिए चयनित इंद्राणियों द्वारा मंगल कलश यात्रा भी निकाली गई। जो पंच कल्याणक स्थल से नवीन जैन मंदिर किला पहुंची। जहां मंत्रोच्चारित जल से मंदिर के शिखर, मंडप, वैदियों और फर्श का शुद्धीकरण किया गया। प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के निर्देशन में इस आयोजन को पूर्ण शुचिता ओर शास्त्रीय तरीके से पूर्ण किया जा रहा है। प्रतिदिन रात में समाज के बालक बालिकाओं द्वारा आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
शाम को संगीत में महाआरती होने के बाद शास्त्र प्रवचन हुआ. सौ धर्मेंद्र की इंद्रसभा, आसान कंपायन, मां नगरी की रचना, माता-पिता की स्थापना, अष्ट देवियों द्वारा माता की परिचर्चा, 16 स्वप्न दर्शन के साथ गर्भकल्याणक की आंतरिक संस्कार क्रियाएं कराई गई
गर्भावतरण से देवी-देवता और पूरी प्रकृति झूमने लगती है
इस अवसर पर मंगल प्रवचन में मुनि श्री ने कहा कि तीर्थंकर भगवंत के गर्भावतरण के साथ ही तीनों लोको में हर्ष व्याप्त हो जाता है। नगरवासी, देवी देवता ओर संपूर्ण प्रकृति झूमने लगती है। तीर्थकर की माता को भगवान के गर्भावतरण के साथ ही शुभ स्वप्न दिखाई देते हैं। इंद्र ओर कुबेर द्वारा खुशी को व्यक्त करने के लिए र|ों की वर्षा की जाती है। देवकु मारिया माता की सेवा करने के लिए आती हैं। पंचकल्याणक में भगवान के गर्भ से मोक्ष कल्याणक तक की क्रियाओं में शास्त्रोक्त तरीके से पूजन हवन किया जाता है। वहीं भगवान के सभी कल्याणक के अवसर से जुड़ी हुई घटनाओं का सांस्कृतिक मंचन भी लोगों में धर्म प्रभावना बढाने के लिए किया जाता है।
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