टीवी-डी1 फ्लाइट टेस्ट गगनयान अभियान के अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है। परीक्षण के जरिये ऐसी काल्पनिक स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी की प्रणाली को परखा जाएगा, जिसमें किसी वजह से अभियान को बीच में ही रद्द करना पड़ जाए।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज श्रीहरिकोटा परीक्षण रेंज से गगनयान मिशन के व्हीकल टेस्ट फ्लाइट (टीवी-डी1) का पहला परीक्षण करेगा। गगनयान मिशन के लिए टेस्ट उड़ान टीवी-डी1 को सुबह आठ बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो ने मानव सहित गगनयान मिशन की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाते हुए क्रू मॉड्यूल को सही-सलामत उतारने की तैयारी पूरी कर ली है।
यह परीक्षण गगनयान अभियान के अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है। परीक्षण के जरिये ऐसी काल्पनिक स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी की प्रणाली को परखा जाएगा, जिसमें किसी वजह से अभियान को बीच में ही रद्द करना पड़ जाए।
मिशन का सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट http://isro.gov.in के अलावा https://facebook.com/ISRO और यूट्यूब लिंक YouTube: https://youtube.com/watch?v=BMig6ZpqrIs पर देखा जा सकता है। इसके अलावा डीडी नेशनल टीवी चैनल पर भी इस परीक्षण उड़ान का सीधा प्रसारण होगा।
नौ मिनट में 17 किलोमीटर की ऊंचाई से सुरक्षित वापसी
परीक्षण के तहत तरल ईंधन पर चलने वाले सिंगल स्टेज रॉकेट के साथ गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सुबह करीब आठ बजे अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उड़ान के करीब एक मिनट बाद 12 से 17 किमी की ऊंचाई पर अभियान को रद्द करने की कमांड दी जाएगी। इस कमांड के साथ ही क्रू एस्केप सिस्टम सक्रिय हो जाएगा और 90 सेकंड में यह क्रू मॉड्यूल से अलग हो जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल वापस पृथ्वी पर लौटेगा।
- पैराशूट की मदद से क्रू मॉड्यूल तय कॉर्डिनेट्स के हिसाब से श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में उतरेगा। जहां भारतीय नौसेना की एक गोताखोर टीम और जहाज पहले से तैनात होंगे और क्रू मॉड्यूल को पानी से बाहर निकालेंगे।
- लॉन्च से लेकर क्रू मॉड्यूल के बंगाल की खाड़ी में उतरने तक करीब 9 मिनट का समय लगेगा। उड़ान के दौरान टेस्ट व्हीकल का शीर्ष सापेक्ष वेग करीब 363 मीटर प्रति सेकंड तक पहुंच जाएगा।
- अमेरिका और रूस जैसे देशों के अनुभव से इसरो ने सीखा है कि मानव मिशन में क्रू की सुरक्षा सर्वोपरी होनी चाहिए।
परीक्षण के तीन उद्देश्य
- परीक्षण वाहन की उप प्रणालियों का उड़ान प्रदर्शन और मूल्यांकन।
- अलग-अलग प्रणालियों के एक दूसरे से अलग होने व क्रू एस्केप सिस्टम का उड़ान प्रदर्शन और मूल्यांकन।
- अधिक ऊंचाई पर
- क्रू मॉड्यूल की विशेषताओं और इसकी गति धीमी करने वाली प्रणालियों का प्रदर्शन और पुनर्प्राप्ति।
क्रू-एस्केप से बचेगा जीवन
इसरो ने बताया कि फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन1 में किसी अनहोनी की दशा में अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में यह क्रू-एस्केप प्रणाली काम आएगी। उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो यह प्रणाली क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगी, कुछ समय उड़ेगी और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में उतरेगी। इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को नौसेना की ओर से समुद्र से सुरक्षित वापस लाया जाएगा।
अगले साल भेजा जा सकता है गगनयान
गगनयान भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है, इसे अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। 2024 में मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।
2025 में जब भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्री धरती से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में तीन दिन बिताने जाएंगे, तब किसी भी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं खोना पड़े, इसके लिए कुल छह परीक्षण की शृंखला में यह पहला परीक्षण है। इसरो के इस परीक्षण से क्रू इस्केप सिस्टम (सीईएस) की क्षमता और दक्षता के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। इसके अलावा किसी आपात परिस्थिति में अभियान को बीच में ही रद किए जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने की रणनीति को फेल-सेफ बनाने में मदद मिलेगी।
हर परीक्षण उड़ान पर करोड़ों की बचत
जब गगनयान के क्रू मॉड्यूल जैसे भारी पेलोड को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए जीएसएलवी मार्क-3 की एक उड़ान 300-400 करोड़ रुपये की होती है। गगनयान का कुल बजट करीब 9,000 करोड़ रुपये है। इसरो ने परीक्षणों के लिए एक किफायती रॉकेट तैयार किया है, जिसे इसरो ने टीवी-डी1 यानी टेस्ट व्हीकल डेमोन्स्ट्रेशन 1 नाम दिया है। इसकी मदद से इसरो हर परीक्षण उड़ान के दौरान कई करोड़ रुपये की बचत कर पाएगा।
किसी तरह की जल्दबाजी नहीं : एस सोमनाथ
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि हमारे ऊपर गगनयान को 2024 या उसके बाद किसी एक तय तारीख को लॉन्च करने का कोई दबाव नहीं है। अगर परीक्षणों के दौरान कहीं कोई कमी सामने आती है, तो हम पहले उस कमी को दूर करेंगे। प्राथमिक उद्देश्य ही यह है कि हम ऐसे अभियानों में इन्सान की सुरक्षा किसी भी कीमत पर जोखिम में नहीं डालें। मौजूदा स्थिति के हिसाब से इसरो अगले साल पूरी तरह से तैयार मानवरहित गगनयान का परीक्षण करेगा। इसके बाद 2024 के अंत तक या 2025 में मानव अभियान भेजा जाएगा।
क्रू मॉड्यूल की प्रमुख बातें
- 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट से अलग होगा क्रू मॉड्यूल
- क्रू मॉड्यूल का वजन 4520 किलो है
- अबतक क्रू एस्केप सिस्टम को धरती पर लाने वाले पैराशूटों के 12 टेस्ट किए गए हैं
- श्रीहरिकोटा लॉन्च सेंटर से लॉन्च के बाद 10 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में गिरेगा क्रू मॉड्यूल
- नौ मिनट लगेंगे लॉन्चिंग से लेकर क्रू मॉड्यूल को बंगाल की खाड़ी में उतरने तक
- अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम