Friday, December 27, 2024
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पांच साल अजीत जोगी के छत्तीसगढ़ियावाद फॉर्मूले पर चले सीएम भूपेश बघेल, भाजपा कैसे निकालेगी इसकी काट?

राहुल संपाल
भाजपा भूपेश के छत्तीसगढ़ियावाद को चुनाव में बड़ी चुनौती मान रही है। यही वजह है कि भाजपा हर चुनावी सभाओं और कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ी भाषा और इससे जुड़ी चीजों को बढ़ावा देते नजर आ रही है।

मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य जिसे ‘महतारी’ यानी का मां का दर्जा दिया गया है। 2000 में इस राज्य के पहले सीएम अजीत जोगी बने। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रदेशवासियों में छत्तीसगढ़िया भाव जगाने की कोशिश की। 2018 में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने पूर्व सीएम जोगी के फॉर्मूले का न केवल अपनाया बल्कि इसे अपनी ताकत भी बना लिया। बघेल ने पूरे पांच साल छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति, तीज-त्योहार, खान-पान पर सबसे ज्यादा काम किया।

इधर, भाजपा भूपेश के छत्तीसगढ़ियावाद को चुनाव में बड़ी चुनौती मान रही है। यही वजह है कि भाजपा हर चुनावी सभाओं और कार्यक्रमों में छत्तीसगढ़ी भाषा और इससे जुड़ी चीजों को बढ़ावा देते नजर आ रही है। चुनाव को देखते हुए भाजपा ऐसे नेताओं को आगे ला रही है, जो छत्तीसगढ़िया के सामने खड़े हो सके। पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा अन्य नेता भी अपने भाषण में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग करते हुए नजर आ रहे है। यहीं नहीं पार्टी के सभी परिवर्तन रथ में भी छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लगाई गई थी।

इन कामों को बघेल सरकार ने बनाया अपनी ताकत

छत्तीसगढ़ राज्य को महतारी का दर्जा दिया गया है। इसी सम्मान को आगे बढ़ाते हुए राज्य की बघेल सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में महतारी की प्रतिमा लगाने की घोषणा की। राजधानी के कई क्षेत्रों में यह प्रतिमा लगाई जा चुकी है।

— राज्य के 20वें स्थापना दिवस के मौके पर लोक कवि डॉ. नरेंद्र देव वर्मा द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ी गीत को भूपेश सरकार ने राज्य गीत घोषित किया। हर सरकारी कार्यक्रमों के पहले राष्ट्रगीत के साथ राज्यगीत भी गाना अनिवार्य किया गया।

—  कांग्रेस सरकार ने पूरे समय मोटे अनाज यानी कोदो, कुटकी और रागी को बढ़ावा दिया। इसके बाद प्रदेश के सभी बड़े होटलों के मेन्यू में इसे शामिल किया गया।

— छत्तीसगढ़ सरकार मजदूर दिवस को बोरे बासी दिवस के रूप में मनाती है। मंत्री,अफसर से लेकर आम लोग इसे मानते है। यह अभियान विदेशों तक पहुंच गया है।

— प्रदेश में तीज का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसकी महत्ता को देख सरकार ने इसकी छुट्टी घोषित कर दी। इसी तरह गोवर्धन पूजा पर भी अवकाश घोषित किया गया।

— छत्तीसगढ़ के अलावा 16 बोली और भाषाओं को स्कूल की पढ़ाई में शामिल किया गया।

— छत्तीसगढ़ी में रामायण पाठ महोत्सव का आयोजन किया गया। मंडली को आर्थिक सहायता दी गई।

— राज्य में विश्व आदिवासी दिवस की छुट्टी घोषित की गई।

— प्रदेश में छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया जैसे नारे का प्रचार प्रसार किया किया। अब लोग प्रदेश के गेड़ी चढ़ने को गर्व समझने लगे। गांव के अलावा शहरों में गिल्ली डंडा जैसे पारंपरिक खेल खेले जा रहे है।

गोबर को किसानों की एक्स्ट्रा कमाई का जरिया बनाया
बघेल सरकार ने छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई, 2020 को की। राज्य के किसानों और पशुपालकों की अतिरिक्त आमदनी को बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य में जो भी किसान गाय पालता है, उससे दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदा जाता है। इस योजना से उनकी आय में वृद्धि होती है। सरकार इस गोबर का इस्तेमाल वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए करती है। यह खाद ऑर्गेनिक होता है। तैयार खाद को कोई भी किसान या व्यक्ति सरकारी केंद्रों के जरिये खरीद सकता है। जहां इसकी दर आठ से दस रुपये प्रति किलो होती है।

इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को उनकी धनराशि सहकारी बैंक के जरिये डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किये जा रहे हैं। डीबीटी के लिए जरूरी है कि आवेदक का बैंक खाता होना चाहिए और वो आधार नंबर से भी जुड़ा हुआ हो। इस योजना से किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा हैं। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, गोधन न्याय योजना से 3 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है। 17 हजार 834  स्व-सहायता समूहों के 2 लाख 9 हजार 750 सदस्यों को इस योजना से आजीविका मिल रही है। इस योजना ने माताओं और बहनों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर उनका आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्रदेश में 10 हजार 327  गौठान स्वीकृत किए गए है, जिनमें से 10 हजार 263 गौठानों को निर्माण पूरा हो चुका है, यानि 99.38  फीसदी गौठानों का निर्माण कर लिया गया है।

गौठानों द्वारा स्वयं की राशि से गोबर की खरीदी की जा रही है। अगस्त 2023 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पांच हजार 960  स्वावलंबी गौठानों द्वारा 66 करोड़ 96 लाख रुपये के गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोधन न्याय योजना मे अभी तक कुल 125.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसकी एवज में 251 करोड़ रुपये का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है। इसी तरह गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 257 करोड़ 29 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

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