सेंट्रल डेस्क VCN-वित्तीय विशेषज्ञ अक्षत श्रीवास्तव ने भारत में मुफ्तखोरी की बढ़ती संस्कृति पर चिंता जताई है, उन्होंने कहा कि मुफ्तखोरी देश को आर्थिक संकट में डाल सकती है। उन्होंने आंकड़ों के साथ बताया है कि भारत का कुल कर्ज 180 लाख करोड़ रुपये है और उस पर ब्याज 14 लाख करोड़ रुपये है जिसे चुकाने में कमाई का 40% हिस्सा चला जाता है,मुफ्तखोरी के बढ़ते कल्चर पर आंकड़ों से समझाते चेतावनी देते श्रीवास्तव ने कहा कि फ्री संस्कृति पर ध्यान नही दिया तो… हम हो जाएंगे दिवालिया
फाइनेंशियल इन्फ्लुएंसर और विजडम हैच के संस्थापक अक्षत श्रीवास्तव ने भारत की बढ़ती मुफ्तखोरी की संस्कृति पर चिंता जताई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह देश को आर्थिक संकट में डाल सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में श्रीवास्तव ने अमेरिका से तुलना करते हुए बताया कि कैसे मुफ्त की चीजें देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका का कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर है।ब्याज चुकाने में उसकी कमाई का 22% हिस्सा जाता है। जबकि भारत का कर्ज 180 लाख करोड़ रुपये है और उस पर ब्याज चुकाने में कमाई का 40% हिस्सा चला जाता है, जो अमेरिका से लगभग दोगुना है। वह कहते हैं कि इसके बावजूद हम हर दिन नई योजनाओं से मुफ्तखोरों को पुरस्कृत करते रहते हैं।
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब राजनीतिक दल लोकलुभावन वादों पर जोर दे रहे हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने नई योजनाओं की घोषणा की है। इनमें पुजारियों को 18,000 रुपये मासिक भत्ता और ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये देना शामिल है। ‘संजीवनी योजना’ के तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा का भी वादा किया गया है। विपक्ष ने इन घोषणाओं की आलोचना की है, लेकिन यह फ्रीबीज की राजनीति का पुराना चलन है।
आंकड़ों के साथ कही अपनी बात
श्रीवास्तव ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘अगर हम वह धन बांटते रहे जो हमारे पास है ही नहीं, तो हम दिवालिया हो जाएंगे।’ उन्होंने आंकड़ों के साथ समझाया, ‘अमेरिका का कुल कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर है। कुल ब्याज लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर है। यह उनकी आय का लगभग 22 फीसदी है। भारत का कुल कर्ज लगभग 180 लाख करोड़ है। कुल ब्याज 14 लाख करोड़ रुपये है। यह उसकी कमाई का 40 फीसदी है।’
यह सिर्फ एक पार्टी की बात नहीं है। चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस ने भी लोकलुभावन उपायों का सहारा लिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक भत्ता देने का वादा किया था, जबकि कांग्रेस ने चुने जाने पर इसे दोगुना करने का वादा किया था। पंजाब में 300 यूनिट मुफ्त बिजली के वादे से वित्तीय तंगी पैदा हो गई, क्योंकि बिल वसूली में भारी गिरावट आई। हिमाचल प्रदेश पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के बोझ तले दबा हुआ है और उसे चलाने के लिए भारी कर्ज ले रहा है।