शोध से जुड़े एम्स के बाल नेत्र विज्ञान विभाग के डॉ. रोहित सक्सेना का कहना है जो बच्चे सूरज की रोशनी के संपर्क में रहते हैं उनमें दृष्टिदोष होने की आशंका कम रहती है। शोध के दौरान आधे बच्चों को कमरे से बाहर निकालकर शरीर के अनुकूल सूरज की रोशनी में रखा गया।
यदि आपका बच्चा दिन में दो घंटे घर से बाहर सूरज की रोशनी में रहता है तो उसमें दृष्टिदोष होने की आशंका कम हो जाती है। एम्स के नेत्र विज्ञान विभाग के शोध से इसका पता चला है। कोरोना महामारी के बाद छोटे बच्चों की आंखों में प्रोग्रेसिव मायोपिया (दृष्टिदोष) के मामले बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर में बाल नेत्र विज्ञान विभाग के डॉक्टरों ने दिल्ली के 22 सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले तीन हजार बच्चों पर शोध किया। शोध के दौरान इन बच्चों को दो ग्रुप में बांटा गया।