दिल्ली के इस शराब नीति घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में मौजूदा समय में चार आरोपी अलग-अलग बैरक में बंद हैं. पहले मनीष सिसोदिया, फिर संजय सिंह और के और के कविता और अब केजरीवाल को तिहाड़ भेज दिया गया है. तिहाड़ जेल की जिस बैरक नंबर 2 में अरविंद केजरीवाल को रखा गया है, उसमें कुछ दिनों पहले तक आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह बंद थे.
तिहाड़ का नाम सुनते ही ऊंची-ऊंची दीवारों, कंटीले तारों और हर तरफ पुलिस वालों से घिरी एक ऐसी जगह की तस्वीर जेहन में उभरती है, जहां कोई नहीं जाना चाहता यही वो जेल है जहां देश के एक से बढ़कर एक छंटे हुए और खूंखार बदमाश रहते हैं. अब इसी तिहाड़ की जेल नंबर 2 की बैरक में अरविंद केजरीवाल बंद हैं. केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में 15 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है. सोमवार 1 अप्रैल 2024 को शाम के 4:13 बजे अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ मेकदम रखा. इसी के साथ 15 अप्रैल तक अरविंद केजरीवाल का नया पता तिहाड़ जेल नंबर-2 हो गया है.
तिहाड़ जेल की जिस बैरक नंबर 2 में अरविंद केजरीवाल को रखा गया है, उसमें कुछ दिनों पहले तक आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह बंद थे. लेकिन फिर उन्हें जेल नंबर 5 में शिफ्ट कर दिया गया. वहीं मनीष सिसोदिया को जेल नंबर 1 में रखा गया है. इसके अलावा इसी केस में चौथी आरोपी के कविता को लेडी जेल नंबर 6 में रखा गया है. केस में एक और आरोपी विजय नायर जेल नंबर 4 में बंद है. वहीं मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को तिहाड़ जेल की 7 नंबर जेल में रखा गया है.
सभी आरोपियों की जेल अगल-बगल हैं, लेकिन कोई भी एक-दूसरे से नहीं मिल सकेगा. उम्मीद कम ही है कि अंदर इनकी कोई बैठक हो पाएगी. क्योंकि एक ही दीवार के पीछे होते हुए भी सभी जुदा होंगे. केजरीवाल ने जेल में अध्ययन के लिए कोर्ट से 3 किताबों की मांग की. केजरीवाल ने रामायण, गीता और नीरजा चौधरी की किताब How Prime Minister Decide की मांग की है. इसके अलावा, जेल में दवा रखने की इजाजत मांगी है. इसके अलावा जेल में मिलने के लिए उन्होंने 6 लोगों ने नाम दिए है.
नियमों के मुताबिक जेल में जाने वाला कोई भी कैदी 10 लोगों के नाम जेल प्रशासन को दे सकता है, जिनसे वो जेल में रहते हुए मुलाकात करना चाहता है. इस कड़ी मे केजरीवाल ने अभी तक सिर्फ 6 लोगों के नाम तिहाड़ जेल प्रशासन को लिखवाए हैं. नियम यह भी कहता है कि कैदी द्वारा जो भी नाम दिए जाते हैं, वह उन्हें अपने हिसाब से बाद में बदलवा भी सकता है.
केजरीवाल ने दिए ये 6 नाम
-पत्नी सुनीता
-बेटा पुलकित
-बेटी हर्षिता
-दोस्त संदीप पाठक
-पीए विभव कुमार
-एक और दोस्त
हफ्ते में दो वीडियो कॉल कर सकेंगे
सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने सोमवार की शाम को जेल में घर का खाना खाया. वह हफ्ते में दो वीडियो कॉल कर सकते हैं.ये कॉल रिकॉर्ड होती है जेल प्रशासन के जरिए. अपने परिवार या जिनका नाम उन्होंने जेल के रजिस्टर में दर्ज कराया, उनसे रोजाना 5 मिनट नॉर्मल कॉल पर बात करसकते हैं. केजरीवाल को कोर्ट के आदेश पर ये सुविधाएं दी जा रही हैं.
केजरीवाल को बैरक में होंगी ये व्यवस्थाएं
बता दें कि जिस जेल नंबर 2 की बैरक में केजरीवाल को रखा गया है, वह लगभग 14 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी है. इसमें टॉयलेट भी है. बैरक में एक टीवी होगा, सीमेंट का ऊंचा बनाया हुआ एक चबूतरा है, जिस पर बिछाने के लिए एक चादर दी जाएगी और ओढ़ने के लिए कंबल और एक तकिया दिया जाएगा. इस बैरक में 2 बाल्टियां भी होंगी.एक बाल्टी में पीने का पानी रखा जाता है, एक बाल्टी को नहाने या कपड़ा धोने का पानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही एक जग भी होगा. इसके अलावा उन्होंने स्पेशल डाइट, टेबल, कुर्सी, दवाइयां, गद्दा, चादर, दो तकिये, दरी और चश्मा भी उपलब्ध कराए जाने की मांग की थी.
आखिर केजरीवाल को जेल नंबर 2 में क्यों रखा गया है?
तिहाड़ की जेल नंबर 2 सजायाफ्ता कैदियों के लिए है. इस जेल में सजा पाए हुए कैदी रहते हैं. सजायाफ्ता कैदियों को कहीं लाने और ले जाने का मुद्दा नहीं रहता. वो अपने बैरेक में ही रहते हैं. इसलिए केजरीवाल की सुरक्षा के लिहाज से इस जेल को मुफीद माना गया है जेल नंबर दो में एक जनरल एरिया है. इसी में एक बैरेक है, उसी में केजरीवाल को रखा गया है. बैरेक के बाहर 4 सुरक्षाकर्मी हर वक्त तैनात रहेंगे और बैरेक को24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में रखा जाएगा.
ये है तिहाड़ जेल का दिनचर्या
बता दें कि तिहाड़ जेल में कुल 9 अलग-अलग जेल हैं. इनमें करीब 12 हज़ार कैदी बंद हैं. जेल की दिनचर्या की बात करें तो सुबह सूरज निकलते ही कैदियों की सेल और बैरक को खोल दिया जाता है. सुबह नाश्ते में सुबह 6.30 बजे चाय और ब्रेड दिया दिया जाता है. नहाने के बाद कैदी को अगर कोर्ट जाना हो या फिर मुलाकात करनी हो तो उसके लिए वह तैयार होता है. सुबह 10:30 और 11 बजे के बीच खाने में दाल, सब्जी और 5 रोटी दी जाती हैं. वहीं जिस कैदी को रोटी नहीं खानी होती, वो चावल ले सकता है. फिर दोपहर 12 से 3 बजे तक उन्हें वापस बैरक में बंद कर दिया जाता है. मेडिकल रिपोर्ट और डॉक्टरी सलाह पर कैदियों को उनकी सेहत के हिसाब से अलग से खाना मिलता है. इनमें घर का खाना भी होता है.
‘जेल से सरकार चलाना संभव नहीं’
जेल से सरकार चलाने की प्रक्रिया पर तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील कुमार गुप्ता कहते हैं, यह बेहद चुनौतीपूर्ण होगा. सीएम के साथ एक निजी स्टाफ होना चाहिए. अब तक 16 जेलें हैं और उनमें से किसी में भी ऐसी कोई सुविधा नहीं है, जहां से मुख्यमंत्री पद चलाया जा सके. इसके लिए सारे नियम तोड़ने पड़ते हैं. कोई भी इतने सारे नियम तोड़ने की इजाजत नहीं देगा. सरकार चलाने का मतलब सिर्फ फाइलों पर हस्ताक्षर करना नहीं है. सरकार चलाने के लिए कैबिनेट की बैठकें बुलाई जाती हैं. मंत्रियों से सलाह ली जाती है और बहुत सारा स्टाफ होता है. एलजी के साथ बैठकें या टेलीफोन पर बातचीत होती है. जेल में टेलीफोन की सुविधा नहीं है. जनता अपनी शिकायतों के निवारण के लिए एक सीएम से मिलने आती है. जेल में सीएम कार्यालय बनाना असंभव है. जेल में कैदी हर दिन 5 मिनट के लिए अपने परिवार से बात कर सकते हैं और यह सब रिकॉर्ड किया जाता है.