तिल्दा नेवरा –वेंकटेश गोकर्ण मंदिर में चल रहे राम कथा पांचवे दिन कथावाचक स्वामी स्वरूपानंदाचार्य ने भरत चरित्र का प्रंसग बताते कहा कि भरत का राम के प्रति अटूट प्रेम मानव जीवन को भातृत्व प्रेम की अनूठी मिसाल देता है, जिन्हाने 14 साल तक राम के वनवास के दौरान उनकी चरण पादुका रखकर राम राज्य चलाया। ऐसा कोई दूसरा भाई न हुआ है और न होगा। जो भरत के भातृत्व प्रेम की मिसाल को पीछे कर सके।
उन्हाने कहा कि भरत की माता कैकई ने अपने पुत्र के राज तिलक के लिए राम को वनवास करा दिया। परंतु जैसे ही भरत को राम के वनवास की जानकारी हुई। उन्होंने अपनी मां का परित्याग कर दिया और राजतिलक कराने से भी इंकार कर दिया।
कहा कि वर्तमान समय में लोगा को भगवान श्रीराम और भरत के प्रेम से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। उन्हाने कहा कि भरत ने राजतिलक का परित्याग कर भातृ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश कर समाज को जो संदेश दिया, वह आज लोग भूलते जा रहे हैं। उन्हाने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है। उन्होंने भरत के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और वात्सल्य भाव के कई प्रसंग सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया। कथा का श्रवण करने रविवार को दूधाधारी मठ प्रमुख एवं गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री राम सुंदर दास जी पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी के साथ. ओम ठाकुर अगितेश शर्मा, देवा दास टंडन आदि पहुंचे थे ।