सावन को महादेव का माह भी कहा जाता है. जानिए इस महीने किस तरह रखें व्रत कि हर मनोकामना सुनने लगें भगवान शिव.
तिल्दा नेवरा -पंचाग के अनुसार सावन का महीना इस साल 59 दिनों यानी लगभग 2 महीनों का होने वाला है. इस माह की विशेष धार्मिक मान्यता होती है और कहा जाता है कि भोलेनाथ (Lord Shiva) भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. बीती 10 जुलाई के दिन सावन का पहला सोमवार पड़ा था जिसमें शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लग गया था. इस माह अनेक भक्त महादेव के लिए व्रत भी रखते हैं. ऐसे में व्रत (Sawan Vrat) के अनुसार कुछ खास बातों का ध्यान देना आवश्यक होता है. भक्तों से की गई छोटी गलतियां भी महादेव को रुष्ट कर सकती हैं. आप ऐसी कोई भूल ना करें इसलिए मान्यतानुसार कुछ बातों का ख्याल रखें.
-
धार्मिक मान्यतानुसार सावन सोमवार (Sawan Somwar) का खासतौर से व्रत रखा जाता है. यह भक्तों की इच्छा होती है कि वे इस व्रत को निर्जला रखना चाहते हैं या फलाहारी. निर्जला व्रत में जल का सेवन भी नहीं किया जाता है अपितु फलाहारी व्रत में भक्त व्रत के दौरान फलों का सेवन कर सकते हैं.
- सावन के व्रत को तोड़ने के भी 2 तरीके हैं. अनेक भक्त इस व्रत को शाम के समय खोलते हैं तो कुछ लोग इसका पारण अगली सुबह करते हैं. हालांकि, शास्त्रों के अनुसार सावन के व्रत को शिव पूजा के समय शाम को प्रदोष काल में तोड़ना बेहद शुभ माना जाता है और प्रभावशाली भी होता है. ऐसे में सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ा जा सकता है.
- व्रती व्यक्ति को सावन सोमवार के व्रत में तामसिक भोजन से परहेज करने के लिए कहा जाता है. इस भोजन में लहसुन, प्याज और मांसाहार शामिल नहीं किए जाते हैं.
- भोजन में तली हुई चीजें खाने से भी परहेज किया जाता है. इसकी एक वजह मौसम में बदलाव है जिससे शरीर रोगग्रस्त हो सकता है.
- पूजा के दौरान भी कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है, जैसे शिव पूजा (Shiv Puja) में इस्तेमाल हुए जल को तुलसी में डालने से बचना चाहिए.
- सावन के माह में चाहे व्यक्ति ने व्रत रखा हो या ना रखा हो उसे शराब के सेवन से परहेज करने के लिए कहा जाता है. साथ ही, बैंगन, मसूर दाल, सरसों और तिल का सेवन ना करने के लिए कहा जाता है.