तिल्दा नेवरा -परम पूज्य शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में नेवरा के दशहरा मैदान पर चल रहे पचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एंव विश्व शांति यज्ञ के पाचवे दिन तप कल्याणक महोत्सव मनाया गया।सुबह के समय जाप्यानुष्ठान, अभिषेक,शांतिधारा, नित्य नियम पूजन, जन्मकल्याणक पूजन, नवग्रह शांति यज्ञ के कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इसके बाद महाराज श्री के मंगल प्रवचन हुए जिसके बाद तप कल्याणक के अंतर्गत बालक आदिकुमार से राजा बने भगवान ने मनुष्यों को असि, मसि, कृषि, शिल्प, वाणिज्य और कला की शिक्षाएं आमजन की जीवन यापन के लिए प्रदान की । उन्होंने लोगों को ईमानदारी, अनुशासन व धर्म परायण में रहते हुए जीवन बिताने का संदेश दिया।
राजा को दरबार में नीलांजना का नृत्य देखकर वैराग्य उत्पन्न हुआ और दीक्षा लेने के लिए वन की ओर चल दिए। इसको देखकर माता मरु देवी अश्रुपूरित नेत्रों से भगवान को रोकने का प्रयास करती है। यह दृश्य देखकर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। वैराग्य के दृश्य से महिलाओं के नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी। आचार्य श्री महाराज ने श्रावक-श्राविकाओं को तप का महत्व समझाते हुए कहा कि तप कल्याण के समय भगवान आदिकुमार की पालकी को उठाने को लेकर देवताओं और मनुष्यों में विवाद हो गया। दोनों वर्ग पालकी उठाना चाहते थे। देवता लोग संयम धारण नहीं कर सकते । अतः ये अधिकार मनुष्यों का है। इसलिए मनुष्यों को अपने जीवन की श्रेष्ठता को समझते हुए श्रेष्ठ तप द्वारा जीवन को सार्थक बनाना चाहिये। दोपहर में 32000 मांडलिक राजाओं की भव्य राज दरबार लगा और भगवान आदिकुमार का राज्याभिषेक किया गया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए
भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ प्रभु के वैराग्य दृश्यों का मंचन किया गया। किस प्रकार से राजा आदि कुमार को वैराग्य उत्पत्ति होती है और वह सांसारिक सुख को त्याग कर राजपाट को त्याग कर वन विहार कर लेते हैं
धन को लक्ष्य नहीं,साधन बनाओ–मुनि
पंचकल्याणक के दौरान मुनि श्री महाराज ने अदबोधन में कहा की धन को लक्ष्य कभी मत बनाओ, बल्कि साधन बनाकर इसका सदुपयोग करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा की जब तक व्यक्ति कर्म के उदय का फल भोगेगा, तब तक धर्म का अधिकारी नहीं होता। व्यक्ति को ऐसा पुण्य भी नहीं करना चाहिए जिसके उदय से धर्म ही नहीं कर सके। पुण्य रूपी धन इतना ही करना जितना साधन बन जाये।
गुरुवार को ज्ञान कल्याणक कार्यक्रम रहेगा गुरुवार की बेला में प्रातः काल जाप अनुष्ठान,अभिषेक,शान्तिधारा,पूजन,तप कल्याण पूजन,मुनिश्री के मंगल प्रवचन,महा मुनिराजो की आहारचर्या,प्राण प्रतिष्ठा,सुरीमन्त्र,आदि धार्मिक कार्यक्रम होंगे