तिन्दा-नेवरा-स्थानीय दशहरा मैदान में चल रहे श्रीमद भागवत सप्ताह कथा के पांचवे दिन रविवार को वृन्दावन के श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च महाराज ने कथा कहा की नन्द उत्सव के पश्चात् भी बधाइयाँ देने वालो का ताता लगा रहा इसी बीच कंस के आदेश पर पूतना नाम की राक्षसी अपने स्तनों में जहर लगा कर भगवान कृष्ण को मारने आयी, उसे देखकर भगवान ने नेत्र बन्द कर लिये, पूतना भगवान को उठाकर आकाश मार्ग में ले गयी भगवान भगवान को दूध पिलाने पूतना ने जैसे ही भगवान कृष्ण के मुह में जहर लगा अपना स्तन दिया श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर उसका कल्याण किया।
इसके पहले राधा जन्म उत्सव भी बड़ी धूमधाम से मनाया|इस मौके पर महराज जी ने कहा कि बेटा और बेटी में भेद नहीं समझना चाहिए, समान दृष्टि रखना चाहिए, शहनाई उसी घर बजती है जिसके यहां बेटी का जन्म होता है,
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुये बताया कि भगवान ने अघासुर, बकासुर, धेनुकासुर, केसी आदि कई राक्षसों का उद्धार किया। माखन चोरी लीला कर समाज को सन्देश दिया के पहले अपने परिवार को पुष्ट करें फिर विक्रय करें। चीर हरण लीला के अन्तर्गत प्रभु ने समझाया कि जलाशय में कभी निर्वस्त्र होकर स्नान न करें ऐसा करने से जल देवता वरुणदेव का अपमान होता है। यमुना जी को कालिया नाग के प्रदूषण से मुक्त कराया और यमुना जल को स्वच्छ किया, लेकिन आज कई कालिया उत्पन्न है, फैक्ट्रीयों का गन्दा पानी नादियों जाने से आज हमारे देश की नदियाँ प्रदूषित हो गई है। समाज को एकजुट होकर नदियों के प्रदूषण को रोकना चाहिए जिससे वो पहले की तरह स्वच्छ रहे आगे गोवर्धन पर्वत की पूजा करवायी, गिरिराज महाराज को छपन भोग लगाये गये।
गिरिराज पर्वत की पूजा करने का तात्पर्य यह है कि प्रकृति का सम्बर्धन व संरक्षण परम आवश्यक हैं आज वृक्षों का कटान, पर्वतों का खनन जोरों से चल रहा हैं पहाड़ विराट भगवान हड्डियां व वृक्ष नाडिकाएं हैं प्रकृति से उतना ही लेना चाहिए जितनी जरूरत हैं जरूरत से ज्यादा नहीं, सुनामी आदि लहरे ये प्रकृति का प्रकोप हैं, मनुष्य जीवन में प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा व्यास द्वारा बीच-बीच में सुनाए गए भजन पर श्रोता भाव विभोर हो गए।