छत्तीसगढ़ के प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच अब सियासी रस्साकशी जारी है। हर दिन दोनों ही दल प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर एक दूसरे को मैं सच्चा तू झूठा बता रहे हैं। यह खेल अब बढ़ता जा रहा है। दोनों ही दलों की ओर से बयान बाजी तेज है। आरोप बड़े होते जा रहे हैं और कोशिश की जा रही है वोटर को अपने-अपने पक्ष में रिझाने की। मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ भारतीय जनता पार्टी ने पीडीएस के चावल को लेकर बात की, इससे पहले भी लगातार भाजपा शनिवार, रविवार से ही शराब घोटाले, धान खरीदी जैसे मसलों पर कांग्रेस पर हावी हो रही थी।
जवाब में मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की टीम सामने आई। रमन सरकार के वक्त के दावे और वादों की लिस्ट लेकर पहुंचे। इन नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए शराबबंदी, धान खरीदी, ईडी की कार्रवाई जैसे मामलों पर एक के बाद एक भारतीय जनता पार्टी पर हमले किए। दोनों ही दलों के अपने-अपने दावे हैं।
कांग्रेस बोली भाजपा ने महापाप किया
साेशल मीडिया पर भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। दरअसल साल 2018 में कांग्रेस नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस ली हाथ में गंगा जल था, भाजपा ने कहा गंगा जल लेकर शराबबंदी का वादा करने वालों ने वादा नहीं निभाया। अब मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि शराब बंदी को गंगाजल से जोड़ना भाजपा का महापाप है। कांग्रेस ने कभी भी अपने जनघोषणा पत्र के वायदों और शराब बंदी को लेकर कभी गंगाजल की सौगंध नहीं खाया था।
कांग्रेस ने केवल किसानों की कर्जमाफी करने के लिये गंगाजल की कसम खाया था जिसे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने तीन घंटे के अंदर भूपेश बघेल ने पूरा कर दिया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 19 लाख किसानों के 10 हजार करोड़ रू. का कर्जा माफ किया था। कांग्रेस सरकार शराबबंदी की दिशा में काम कर रही है। 150 से अधिक शराब दुकानें बंद की गई। शराब बंदी के गठित कमेटी में भाजपा के विधायक क्यों शामिल नहीं हुई?
सुशील आनंद शुक्ला ने पत्रकारो को संबोधित करते हुये कहा कि मुद्दाविहीन भाजपा छत्तीसगढ़ में झूठ के आधार पर राजनीति कर रही है। ईडी की झूठी पटकथा पर सरकार को बदनाम करने की साजिश की है। भाजपा नेता ईडी की पटकथा के आधार पर आरोप लगा रहे की छत्तीसगढ़ में बिना एक्साइज ड्यूटी पटाये शराब बिक्री करने से 2168 करोड़ का घोटाला हुआ है। यदि ईडी के आरोप सही है तो ईडी ने शराब निर्माण के विक्रय के डिस्टलरो के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं किया? राज्य मे 2012 मे रमन सरकार ने देशी शराब के उत्पादन का अधिकार मात्र राज्य के ही मात्र 3 डिस्टलरों को मिल गया था।
बिना एक्साईज ड्यूटी शराब बेचने कि शिकायत कि जाँच भी राज्य सरकार 3 डिस्टलरों के खिलाफ करवा रही है। डिस्टलर पर कार्यवाही से भाजपा क्यों तिलमिला रही है? डिस्टलर के साथ रमन सिंह के क्या संबंध है? क्या भाजपा नेता डिस्टलरों के पार्टनर है? रमन सिंह ने डिस्टलरों को फायदा पहुंचाने, डिस्टलरों के माध्यम से शराब में घोटाला करने 138 साल पुरानी शराब नीति को बदला था?
4400 करोड़ का शराब घोटाला रमन सरकार में हुआ
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार के दौरान दो केबिनेट मंत्री शराब के अवैध कमाई को लेकर भिड़े थे। रमन सिंह के राज में शराब नीति में परिवर्तन करके तथा शराब के ब्रांडों के रेट के निर्धारण में गड़बड़ी करके 4400 करोड़ का शराब घोटाला किया था। जैसे शराब नीति में दिल्ली में परिवर्तन किया गया वैसा ही परिवर्तन रमन राज में छत्तीसगढ़ में हुआ। वैसे ही घोटाले में दिल्ली में उपमुख्यमंत्री जेल में जा सकता है तो छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ईडी की जांच क्यों नहीं हो सकती है?
पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कृषक कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा ने कहा कि धान की खरीदी भूपेश सरकार अपने दम पर करती है केन्द्र सरकार का इसमें एक पैसे का कोई योगदान नहीं। इस वर्ष धान खरीदी में भूपेश सरकार हर वर्ष की तरह 35 हजार करोड़ रू. कर्ज ले रही है। भाजपा किस मुंह से कहती है केंद्र सरकार धान खरीदती है। प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के निचले स्तर के नेता बेशर्मी पूर्वक झूठ बोलते है। भूपेश सरकार अपने दम पर कर्ज लेकर धान की खरीदी करती है धान खरीदी में मोदी सरकार का योगदान शून्य होता है।
भाजपा पूछ रही 600 करोड़ के चावल पर सवाल
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संदीप शर्मा ने पुरजोर मांग की है कि प्रदेश सरकार पीडीएस मामले में अब तक हुई जांच, वसूली और दोषी अफसरों पर कार्रवाई को सार्वजनिक करे। श्री शर्मा ने कहा कि 600 करोड़ रुपए के इस पीडीएस घोटाले को विधानसभा में स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार ने विधानसभा की कमेटी के बजाय अधिकारियों से जांच कराने की बात कही थी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यह मामला उठाया था और अतिशेष स्टॉक को लेकर खाद्य विभाग और जिला प्रशासन के आंकड़ों में अंतर होने की बात कही थी। 59 लाख मीटरिक टन चावल गायब होने की जांच कराने की मांग करके डॉ. सिंह ने बड़े घोटाले के खुलासे का दावा किया था। श्री शर्मा ने कहा कि विधानसभा में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने स्वीकार किया था कि 4,952 राशन दुकानों में 41 हजार टन चावल की कमी पाई गई है। खाद्य मंत्री भगत ने सदन को 24 मार्च, 2023 तक सभी जिलों की कार्रवाई पूर्ण कर विभाग को प्रस्तुत करने के निर्देश की जानकारी भी दी थी।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शर्मा ने कहा कि पीडीएस के इस घोटाले में अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने अधिकारियों के बजाय विधानसभा की कमेटी से इसकी जांच कराने की मांग विधानसभा में की थी, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इसे सिरे से खारिज कर उन अधिकारियों से इस घोटाले की जांच कराने की बात कही जिन्होंने इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया था। इससे अधिक प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण कुछ और नहीं हो सकता। श्री शर्मा ने सवाल किया कि क्या प्रदेश सरकार ने इस घोटाले की ठीक-ठीक जांच कराई? जांच के बाद वसूली की बात भी प्रदेश सरकार ने स्वीकार की है।
अब प्रदेश सरकार को इस पूरे घोटाले की जांच कर सच प्रदेश के सामने रखते हुए यह बताना चाहिए कि पीडीएस घोटाले में सरकार ने कितनी वसूली की? जब वसूली हो गई है तो यह तय है कि भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों ने घोटाला किया है। श्री शर्मा ने प्रदेश सरकार से यह भी जानना चाहा कि इस मामले में किन अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया और उन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार ने क्या कार्रवाई की है? कितने अधिकारियों को प्रदेश सरकार ने दंडित कर जेल भेजा ? प्रदेश सरकार इस पूरे मामले की जांच व कार्रवाई की तथ्यपरक जानकारी प्रदेश को