समीक्षा के बाद होगी निगम, मंडल व आयोग में नियुक्तियां
रायपुर। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का चुनाव प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ के तमाम नेता इन दिनों राज्य से बाहर हैं। जिनमें सत्ता व संगठन दोनों से शामिल हैं. चुनाव परिणाम आने से पहले ही गहन समीक्षा होगी। जिसमें मंत्रियों,विधायकों से लेकर पार्षदों तक का रिपोर्ट कार्ड बनेगा उस आधार पर आगे निगम-मंडल के लिए पद तय होंगे। छह माह बाद निकाय चुनाव है ऐसे में ज्यादा ध्यान निकाय क्षेत्र के लिए दिया जायेगा,ताकि विधानसभा और लोकसभा के बाद शहरी सत्ता की चाबी भी अपने पास रख सकें। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने चुनाव वैसे तो मोदी के चेहरे व राज्य सरकार के तीन माह के कामकाज को लेकर लड़ा है लेकिन स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार सत्ता व संगठन से जुड़े लोगों ने कितना काम किया है वोट का मार्जिन तय करेगा।
जैसे कि मालूम हो भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री ने रायपुर लोकसभा का चुनाव लड़ा है और उनकी जीत भी हर हाल में पक्की मानी जा रही है मतलब यह सीट रिक्त होगा तब वहां उपचुनाव के लिए दावेदार सक्रिय होंगे। वहीं एक और मंत्री का पद भी खाली हो जायेगा ऐसे में दो मंत्री बनाने की गुंजाइश होगी। वैसे मंत्रिमंडल से किसी को हटाया जायेगा नहीं लगता,क्योकि परफार्मेंस के लिए इतने कम समय में आकलन कर पाना संभव नहीं। चूंकि संगठन के लिए प्रदेश ईकाई में नियुक्ति हो चुकी है ऐसे में जल्द ही निगम मंडल व आयोग में मनोनयन के लिए दबाव बढ़ेगा। वैसे दावेदारों की संख्या काफी लंबी है इसलिए वरिष्ठता व सक्रियता को प्राथमिकता दी जायेगी। चंूकि पार्टी का विशेषाधिकार है इसलिए नियुक्ति में कोई दिक्कत नहीं आयेगी।
वहीं दूसरी ओर साल के आखिरी में निकाय चुनाव है ऐसे में भाजपा अपने वर्तमान पार्षदों के वार्ड की रिपोर्ट भी तलब करेगी और जहां कांग्रेस के पार्षद हैं वहां के छाया भाजपा पार्षदों का काम भी देखा जायेगा। इस लिहाज से टिकट की बात आयेगी तब दावेदारों को तवज्जो दिया जायेगा। पार्टी सूत्रों की माने तो कई स्तर की समीक्षा होगी लेकिन निर्णयात्मक मुहर लगने के पहले की समीक्षा चार जून के बाद ही होगी।