4 जुलाई से होगी सावन की शुरुआत….. 19 साल बाद बन रहा श्रावण अधीमास का सहयोग
tilda,,हिन्दू धर्म में भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के लिए सावन के महीने को सबसे उत्तम माना जाता है। इस पूरे माह में शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस बार सावन माह को बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस साल सावन एक नहीं बल्कि दो माह का होने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि ये अद्भुद योग करीब 19 साल बाद बन रहा है। दरअसल हिंदी विक्रम संवत 2080 में इस साल एक अधिकमास पड़ रहा है। ऐसे में इस साल 12 महीने की बजाय कुल 13 महीने होंगे। वहीं सावन का महीना 30 नहीं बल्कि करीब 59 दिन का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 4 के बजाय 8 सोमवार मिलेंगे। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन कब से शुरू हो रहा है और शुभ संयोग…
इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। इस बार सावन महीने की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से हो रही है और 31 अगस्त 2023 को इसका समापन होगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए करीब 59 दिन मिलने वाले हैं।
- सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
- सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
- सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
- सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
- सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
- सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
- सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
- सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्
- सावन माह में प्रत्येक सोमवार को शिव जी पूजा की जाती है।
- मान्यता है कि सावन में भगवान शंकर की पूजा व सोमवार व्रत से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- सावन में प्रत्येक सोमवार को सुबह स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- इसके बाद अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें।
- फिर भोलेनाथ पर गंगा जल चढ़ाएं।
- ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए शिव जी का जल से अभिषेक करें।
- भगवान शिव को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र अर्पित करें।
- आखिर में शिव चालीसा और आरती जरूर पढ़ें।
- सावन के महीने में न करें ये काम
शास्त्रों के अनुसार इस माह में दिन के समय सोने से बचना चाहिए। वहीं खाने में बैंगन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बैंगन को अशुद्ध माना जाता है। साथ भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। - रक्षाबंधन के लिए करना होगा लंबा इंतजार, 15 दिन की बजाए 46 दिन का अंतर रहेगा..
- इस साल 18 जुलाई से मलमास प्रारंभ हो जाएगा.. और फिर 16 अगस्त को मलमास समाप्त होगा। अच्छी बात यह है कि मलमास लगने से पूर्व ही सावन की शिवरात्रि 15 जुलाई को समाप्त हो जाएगी. लेकिन रक्षाबंधन के लिए लंबा इंतजार करना होगा। सामान्य तौर पर सावन शिवरात्रि के 15 दिन बाद ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन मलमास लग जाने से सावन शिवरात्रि और रक्षाबंधन में 40 दिनों का अंतर आ गया है। पंडित संतोष शर्मा ने बताया कि श्रावण अधिमास के चलते त्योहारों की तिथियों में भी बदलाव आएगा। व्रत की पूर्णिमा 1 अगस्त को रहेगी। संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त. पुरुषोत्तम मास का समापन 16 अगस्त को होगा। व्रत की पूर्णिमा यजुर्वेदिओं का उपाकर्म. रक्षाबंधन अगस्त माह के अंतिम दिनों में 30 अगस्त को होगा। ऋग्वेदियों का उपा कर्म 29 अगस्त को होगा।