रायपुर। अपने ध्येय वाक्य को अमलीजामा पहनाते हुए एनएच एमएमआई सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने अपने ईसीएमओ कार्यक्रम की सार्थकता को साबित करते हुए मायोकार्डिटिस संक्रमण से पीडि़त एक युवक का सफल इलाज करते हुए डॉक्टरों ने उसे नया जीवन प्रदान किया।
32 वर्षीय इस युवक को सांस लेने में तकलीफ तो हो ही रही थी साथ ही निम्न ब्लड ब्रेशर के कारण स्थानीय नर्सिंग होम से वह एनएच एमएमआई सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल आया हुआ था। जहां उसकी जांच पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. दीपेश मस्क ने की। मरीज की सघन जांच करने पर डॉक्टर दीपेश ने पाया कि उसके हृदय और फेफड़ों के कार्य में कमी आ रही है जो कि एक जानलेवा वायरल मायोकार्डिटिस जैसा परिलक्षित हो रहा था। उसकी निरंतर गिरती हालत को देखते हुए डॉक्टर दीपेश व पूरी टीम ने तत्काल वीए-ईसीएमओ शुरू किया गया और लगातार मरीज की डॉक्टरों के द्वारा सतत् निगरानी की जा रही थी जिसके बाद उसके हालत में सुधार आना शुरु हो गया और 14 दिनों के अथक प्रयासों के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
मायोकार्डिटिस पीडि़त युवक का इलाज करने वाले एनएचएनएनआईआई हॉस्पिटल के ईसीएमओ विशेषज्ञ डॉ. राकेश चंद ने बताया कि वेनो-आटेरियल एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (वीए-ईसीएमओ) सबसे उन्नत अस्थायी जीवन समर्थन प्रणाली है जो अद्वितीय है, यह तत्काल एवं पूर्ण रूप से हेमोडायनामिक समर्थन (हृदय) प्रदान करता है। साथ ही सहवर्ती गैस विनिमय (फेफड़ों का कार्य भी। ईसीएमओ विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि सदमे के रोगी में वीए-ईसीएमओ कैन्युलेशन का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसे रिफ्रेक्टरी शॉक चरण की पहचान के बाद जितनी जल्दी हो सके शुरू किया जाना चाहिए, खासकर अगर शुरुआती प्रयास और औषधीय उपचार विफल होते हैं।
डॉक्टरों (पल्मोनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, इंटेसिविस्ट, कार्डियक सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट) की विशेषज्ञ टीम के साथ-साथ परफ्यूजनिस्ट और नसों की ईसीएमओ शुरू करने और प्रबंधित करने में आवश्यकता होती है। एनएचएमएमआई में समर्पित ईसीएमओ टीम में डॉ. राकेश चंद, डॉ. प्रदीप शर्मा, डॉ. धर्मेश लाड, डॉ. पी. के. हरि और डॉ. सुमित (कार्डिएक सर्जन) एवं श्री अश्विनी और सुश्री सुवा बतौर परफ्यूजनिस्ट शामिल हैं। टीम ने डॉ. दीपेश एवं डॉ. वर्षा विश्वनाथ के साथ 10 दिन समर्पित किए और आखिरकार मरीज को गंभीर अवस्था से बाहर निकाला।